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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Chhath Puja 2022) : लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज सुबह नहाय-खाय के साथ शुरू हो गई। संतान के लिए मनाया जाने वाला यह त्योहार चार दिन चलेगा। छठ व्रती को करीब 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है, इसलिए यह व्रत आसान नहीं होता। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य व चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस बार यह 29 अक्टूबर यानी कल है। इस दिन व्रती सारा दिन उपवास रखता है। शाम को भगवान भारूकर की पूजा कर खरना का प्रसाद ग्रहण करते हैं। छठ व्रती इस दिन गुड की खीर का प्रसाद बनाती हैं और इसे प्रसाद के तौर पर रात में खाया व बांटा भी जाता है। इसके बाद से ही छठ व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू होता है। 30 अक्टूबर की शाम व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी और 31 अक्टूबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे।
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि एक विशेष खगोलीय अवसर, जिस समय सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है, इस दौरान सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है। इन हानिकारक किरणों का सीधा असर लोगों की आंख, पेट व त्वचा पर पड़ता है।
छठ पर्व पर सूर्य देव की उपासना व अर्घ्य देने से पराबैंगनी किरणें मनुष्य को हानि न पहुंचाएं, इस वजह से सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ पर्व में सूयोर्पासना करने से छठी माता प्रसन्न होकर परिवार में सुख, शांति, धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्यदेव की पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि छठ पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है।
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