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Chintpurni Temple: मंदिरों में दो हजार के नोटों की बारिश, हिमाचल के मंदिर में दो दिन में 21 लाख

BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : May 23, 2023, 9:19 am IST
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Chintpurni Temple: मंदिरों में दो हजार के नोटों की बारिश, हिमाचल के मंदिर में दो दिन में 21 लाख

Chintpurni Temple

India News (इंडिया न्यूज़), Chintpurni Temple, शिमला: 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी हुई तो ऐसी घटना देखने को मिली थी की लोग मंदिर में 500-1000 नोट चढ़ा रहे है। अब इसे संयोग कहे या प्रयोग जब आरबीआई ने 30 सितंबर 2023 तक 2000 नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला किया है तब मंदिरों में इसके चढ़ाने का सिलसिला बढ़ गया है।

  • आरबीआई ने लिया है फैसला
  • 30 सितंबर तक 2000 नोट जमा करने है
  • प्रबंधन के अनुसार पहले भी मिलते रहे है रुपए

हिमाचल प्रदेश के चिंतपूर्णी मंदिर में ऐसा ही मामला सामने आया है जहां दो हजार रुपए के नोटों को मंदिर मे चढ़ावा अचानक बढ़ गया है। मात्र दो दिनों में मंदिर को भेंटपात्र में 146 नोट 2000 रुपए के मिले है। इन दो हजार ने नोटों की कीमत 2,92,000 रुपए है। दो दिन में मंदिर को चढ़ावे से 21,97,395 रुपए प्राप्त हुए है।

शनिवार को 81 नोट

शनिवार को मंदिर को दो हजार के 81 नोट मिले थे। कुल चढ़ावा 10,34,507 रुपए था। जिसमें दो हजार के नोट 1,62,000 थे। मंदिर को चढ़ावे में सबसे ज्यादा 10 रुपए के नोट मिलते है। वहीं, मंदिर न्यास का मानना है कि पिछले दो हजार रुपए के नोट इस दिन जरूर ज्यादा मिले हैं लेकिन इसका कारण केवल मुद्रा के चलन को बाहर करने के निर्णय से ही जोड़कर नहीं देख जा सकता है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार पहले कई बार बड़ी संख्या में लोग दो हजार के नोट चढ़ाते रहे है। एक बार तो एक ही परिवार द्वारा 200 से ज्यादा दो हजार रुपए के नोट चढ़ाए गए थे। मंदिर की तरफ से पैसा बैंक में जमा करवा दिया जाता है।

मंदिर का क्या है महत्व?

मां चिंतापूर्णी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के ऊना गांव में स्थित एक प्राचीन भारतीय मंदिर है। मंदिर को छिन्नमस्ता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है। चिंतापूर्णी मंदिर 51 सिद्धपीठों में से एक है और सात सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। मुख्य रूप से नवरात्रों में देश-विदेश से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि चिंतापूर्णी मंदिर की स्थापना पंडित माई दास ने की थी जो सारस्वत ब्राह्मण थे। आज भी उनके वंशज ऊना में रहते हैं और मंदिर में देवी की पूजा करते हैं।

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