India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha Election: अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर सस्पेंस और बढ़ गया है, क्योंकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को अपना फैसला लेने के लिए कुछ और घंटे दिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आज शाम हुई बैठक में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि दोनों चुनाव लड़ें, लेकिन उन्होंने जमीनी हकीकत के बारे में उनकी जानकारी के मद्देनजर अंतिम फैसला उन पर छोड़ दिया। उम्मीद है कि वे आज रात तक अपना फैसला राहुल गांधी को बता देंगे। नामांकन दाखिल करने की कल आखिरी तारीख है।
खड़गे ने राहुल गांधी को सुझाव दिया है कि दोनों भाई-बहनों के दशकों से अपने पारिवारिक गढ़ रहे इन दो सीटों से चुनाव न लड़ने से न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं बल्कि विपक्ष, सत्तारूढ़ गठबंधन और मतदाताओं में भी गलत संदेश जाएगा। इसका असर उत्तर प्रदेश और देश के बाकी हिस्सों में भी देखने को मिलेगा। पार्टी ने उम्मीदवार चुनने की जिम्मेदारी खड़गे को सौंपी थी, जिसके बाद उन्होंने कर्नाटक में राहुल गांधी से मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि श्री गांधी अमेठी को फिर से जीतने की कोशिश करेंगे, जिसे उन्होंने तीन कार्यकालों तक संसद में प्रतिनिधित्व करने के बाद 2019 में भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से खो दिया था।
Rahul Gandhi
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हालांकि, प्रियंका गांधी वाड्रा काफी दबाव के बावजूद चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर अडिग हैं। व्यापक उम्मीद थी कि वह रायबरेली में अपनी मां के पद पर कदम रखेंगी। सोनिया गांधी 2004 से लोकसभा में रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, लेकिन इस साल वह राज्यसभा चली गईं।
कांग्रेस दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों के फैसले को हफ्तों से टाल रही है। लेकिन अब समय लगभग खत्म हो चुका है। दो दिन पहले, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अमेठी में विरोध प्रदर्शन किया और गांधी परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाने की मांग की। दोनों सीटों के लिए चुनाव पांचवें चरण यानी 20 मई को होने हैं।
ऐसी खबरें हैं कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ने में रुचि नहीं ले सकते हैं। जीत का मतलब यह होगा कि उन्हें केरल की सीट छोड़नी पड़ सकती है, जिसने उन्हें 2019 में लोकसभा में भेजा था। पार्टी सूत्रों ने संकेत दिया कि प्रियंका गांधी वाड्रा की अनिच्छा इस तथ्य से उपजी है कि रायबरेली से उनकी जीत से गांधी परिवार के तीनों सदस्य संसद में पहुँच जाएँगे, जिससे भाजपा के वंशवाद की राजनीति के आरोप को बल मिलेगा।
शेष पाँच चरणों में 353 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इनमें से कांग्रेस 330 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आज़ादी के बाद से कांग्रेस द्वारा लड़ी गई सीटों की यह सबसे कम संख्या है। इसका कारण यह है कि विपक्ष एकजुट मोर्चा बना रहा है और कई सीटें विभिन्न राज्यों में सहयोगियों को दे दी गई हैं।
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