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India News (इंडिया न्यूज), Delhi Asked Loan From Central : दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही राज्य सरकार पर बड़ा सकंट आकर खड़ा हो गया है। इस सकंट से बचने के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से मदद लेनी पढ़ रही है। दरअसल राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने खर्च को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) से 10,000 करोड़ रुपये उधार लेने की मांग की है। लेकिन राज्य के वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति जताई थी। जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली विधानसभा के पुनर्गठन के बाद, 31 साल में पहली बार दिल्ली सरकार राजकोषीय घाटे (Delhi Government Fiscal Deficit) की ओर की बढ़ रही है। आलम यह है कि सरकार के पास अब अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को देने के लिए दो महीने के वेतन जितना ही राजस्व बचा है।
सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग ने चालू वित्त वर्ष में विभिन्न राजस्व व्यय के लिए 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता मानी है। ये सारे अनुमान वित्त विभाग के बजट प्रभाग ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित कर तैयार किए गए हैं। राज्य के वित्त विभाग की तरफ से आपत्ति के बाद भी केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजे जा रहे इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री आतिशी ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
अगर राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार से सहायता ली जा रही है, तो इसमें राज्य वित्त मंत्रालय को क्यों आपत्ति है? तो बता दें कि आदर्श आचार संहिता (MCC) के कारण खर्च में कमी की उम्मीद है, ऐसे में दिल्ली सरकार का फाइनेंस डिपार्टमेंट नहीं चाहता कि केंद्र सरकार से लोन लिया जाये। विभाग का कहना है कि दिल्ली को एनएसएसएफ से बाहर निकल जाना चाहिए। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, केरल और मध्य प्रदेश केवल तीन अन्य राज्य हैं, जो इसका इस्तेमाल करते हैं। अधिकांश राज्यों ने एनएसएसएफ से बाहर रहने का फैसला किया है क्योंकि ये लोन बाजार से उधार लेने की तुलना में अधिक महंगे हैं।
दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, दिल्ली के आर्थिक सर्वे 2023-24 से पता चलता है कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में दिल्ली सरकार का कुल कर्ज 6.4 प्रतिशत से घटकर 3.9 प्रतिशत हो गया है। प्रवक्ता ने कहा कि यह न केवल दिल्ली के इतिहास में सबसे कम है बल्कि भारत में भी सबसे कम है।
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