इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: Delhi Jahangipuri Violence: पिछले चार दिन से देश की राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri violence) इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है। क्योंकि बीते शनिवार (16 अप्रैल) हनुमान जयंती के दिन जहांगीरपुरी इलाके से निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान दो पक्षों में बवाल हो गया था।
इस हिंसा में पुलिस कर्मचारी सहित कई लोग जख्मी हो गए। पुलिस ने इस मामले में अब तक 2 नाबालिगों सहित 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें जहांगीपुरी हिंसा (Jahangirpuri violence Hanuman Jayanti) के पीछे रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ होने का आरोप लगाया गया है। तो आइए जानते हैं क्यों आया जहांगीरपुरी हिंसा में रोहिंग्या मुस्लिमों का नाम। रोहिंग्या मुस्लिम कौन हैं, क्यों जहांगीरपुरी हिंसा का लग रहा आरोप।
रोंहिग्या मुस्लिम कौन हैं? (Delhi Jahangipuri Violence)
रोहिंग्या एक स्टेटलेस या राज्यविहीन जातीय समूह है। ये इस्लाम को मानते हैं और म्यांमार के रखाइन प्रांत से आते हैं। 1982 में बौद्ध बहुल देश म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता छीन ली थी। इससे उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी समेत कई अधिकारों से अलग कर दिया गया। तब से म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा जारी है। 2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार से पहले म्यांमार में उनकी आबादी करीब 14 लाख थी। 2015 के बाद से म्यांमार से 9 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी भागकर बांग्लादेश और भारत समेत आसपास के अन्य देशों में जा चुके हैं। अकेले बांग्लादेश में रोहिंग्या की संख्या 13 लाख से ज्यादा है।
भारत में रोहिंग्या की संख्या कितनी है?
भारत में 2012 के बाद से रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है। गृह मंत्रालय ने, यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (यूएनसीएचआर) वहीं हिंदी भाषा में कहें तो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के हवाले से बताया कि भारत में दिसंबर 2021 तक 18 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों के होने की जानकारी मौजूद है। 2017 में मोदी सरकार ने राज्य सभा में बताया था कि भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या आबादी अवैध रूप से रह रही है।
महज 2 साल के अंदर ही देश में रोहिंग्या की आबादी 4 गुना बढ़ गई। सरकार के मुताबिक, देश में रोहिंग्या विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मणिपुर में हैं। सरकार ने स्पष्ट किया था कि देश में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या के लिए कोई शरणार्थी कैंप नहीं है। सरकार संबद्ध राज्य सरकारों के साथ मिलकर अवैध रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने की तैयारी कर रही है।
ह्यूमन राइट्स वॉच यानी एचआरडब्ल्यू के मुताबिक, भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या देश के अलग-अलग हिस्सों में कैंपों और झुग्गियों में रहते हैं। एक अनुमान मुताबिक, करीब 5 हजार रोहिंग्या मुस्लिम जम्मू-कश्मीर के आसपास के इलाकों में रहते हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स मुताबिक, इनकी असली संख्या 10 हजार के करीब है।
दिल्ली में रोहिंग्या की कितनी बस्तियां हैं? ( Delhi Jahangipuri Violence)
यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज यानी (यूएनसीएचआर) के अनुसार, दिल्ली में 1000 रोहिंग्या शरणार्थी रजिस्टर्ड हैं। हालांकि, इनकी वास्तविक संख्या इससे ज्यादा होने का अनुमान है। भारत में रोहिंग्या की बसावट के मामले में दिल्ली प्रमुख स्थानों में से एक है। दिल्ली में कम से कम पांच ऐसे अनौपचारिक शिविर मौजूद हैं, जहां रोहिंग्या की आबादी बड़ी संख्या में है। यहां जसोला, यमुना नदी के किनारे, श्रम विहार, कंचन विहार और साउथ दिल्ली स्थित मदनपुर खादर समेत पांच ऐसे इलाके हैं, जहां रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी है। रिपोर्ट मुताबिक, दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिम अपना धर्म तक बदलने लगे हैं।
क्या जहांगीरपुरी में हैं रोहिंग्या मुस्लिम?
जहांगीरपुरी दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले में बसा है। यह एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आजादपुर के पास स्थित है। जहांगीरपुरी बेहद सघन बसा इलाका है और यहां हिंदू-मुस्लिम और पंजाबी समुदाय के लोग रहते हैं।
आजादपुर मंडी पास में होने की वजह से यहां बड़ी संख्या में लोग फल-सब्जी के काम से जुड़े हैं। जहांगीरपुर में निम्न मध्यम आय वर्ग की तादाद अच्छी खासी है, इसलिए यहां झुग्गी-झोपड़ियां भी बनी हैं। जहांगीरपुरी इलाके को ए से लेकर एच तक आठ ब्लॉक में बांटा गया है।
जहांगीरपुरी के ब्लॉक सी और ब्लॉक एच-2 में मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लॉक सी और ब्लॉक एच-2 में बांग्लादेशी मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है, जिनमें से कई के रोहिंग्या होने का भी दावा किया जाता है। हालांकि, इनकी संख्या कितनी है, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है। शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा जहांगीरपुरी के सी ब्लॉक में ही हुई थी।
क्या आतंक से कनेक्शन है रोहिंग्या का?
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के डीजी केके शर्मा ने 2018 में कहा था कि देश में अवैध रूप से रोहिंग्या का बड़ी संख्या में आना देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या के आतंकी संगठनों से लिंक की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट्स मुताबिक, रोहिंग्या छोटी-मोटी चोरियों से लेकर लूटपाट, हत्या और डकैती जैसे बड़े अपराधों में भी शामिल रहते हैं। कुछ रिपोर्ट्स मुताबिक, 2020 में दिल्ली में शाहीनबाग और जफराबाद में हुए सीएए प्रोटेस्ट में सैकड़ों की संख्या में रोहिंग्या ने हिस्सा लिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजनीतिक दलों ने वोट के फायदे के लिए कई रोहिंग्या के राशन और आधार कार्ड तक बनवा दिए हैं, जिससे अवैध रूप से रह रहे कई रोहिंग्या की पहचान भी मुश्किल हो गई है। वैसे अब तक भारत में किसी आतंकी हमले में किसी रोहिंग्या रिफ्यूजी का हाथ होने को लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।
क्या जहांगीरपुरी हिंसा के पीछे रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ है? (Delhi Jahangipuri Violence)
हनुमान जयंती की शोभा यात्रा पर पथराव के बाद जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के दौरान दंगाइयों ने दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मेदालाल मीणा पर गोली चलाई थी। मेदालाल का कहना है कि जैसे ही शोभा यात्रा सी ब्लॉक में मस्जिद के पास पहुंची, उस पर पथराव शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि दंगाई नारे लगा रहे थे और उनकी बोली काफी हद तक बांग्लादेशियों जैसी थी।
रिपोर्ट्स मुताबिक, जहांगीरपुरी के जिस सी ब्लॉक में ये हिंसा हुई, वहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है और वहां कथित रूप से रोहिंग्या भी रहते हैं। अब सबके दिमाग में सवाल ये उठ रहा है कि जहांगीरपुरी हिंसा के पीछे क्या रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ है। तो आपको बता दें कि इसका जवाब आने वाली दिल्ली पुलिस की जांच रिपोर्ट में सामने आएगा।
क्या रोहिंग्या से देश की सुरक्षा को खतरा है?
सरकार भारत में आने वाले रोहिंग्या को ‘अवैध अप्रवासी’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए खतरा बता चुकी है। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से रोहिंग्या को शरणार्थी का दर्जा देने के बाद भी भारत सरकार उन्हें अवैध अप्रवासी की श्रेणी में रखती है। भारत यूएन शरणार्थी संधि 1951 या उसके 1967 प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है। इसलिए रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर यूएन के नियम मानने को बाध्य नहीं है।
भारत विदेश से आने वालों को मामले दर मामले के आधार पर शरणार्थियों का दर्जा देता है। 2016 में मोदी सरकार ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसी, ईसाइयों को भारतीय नागरिकता पाने की अनुमति दी थी। सरकार की करीब 40 हजार अवैध रोहिंग्या को वापस म्यांमार डिपोर्ट करने की योजना है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ 2021 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। शीर्ष अदालत ने रोहिंग्या के प्रत्यर्पण को रोकने से इनकार कर दिया था। रोहिंग्या मुस्लिमों का ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।