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History of Mangalsutra in India: भारतीय राजनीति में मंगलसूत्र पर घमासान, जानिए क्या है सुहाग के इस निशानी का इतिहास- indianews

Reepu kumari • LAST UPDATED : April 25, 2024, 11:17 am IST

India News (इंडिया न्यूज), History of Mangalsutra in India: भारतीय संस्कृति में अगर कोई विवाहित महिला है तो उसके मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र देखने को मिल जाएगा। इन दिनों देश की  राजनीति में मंगलसूत्र पर जोरदार घमासान जारी है। सत्ता और विपक्षी पार्टियां एक दूसरे पर लगातार जुबानी तीर चला रही हैं। हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा था कि कांग्रेस अब मंगलसूत्र को भी नहीं छोड़ेगी। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बवाल शुरू हो गया।  हमलावर होते हुए मंगलवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रैली में कहा कि -मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश को कुर्बान हुआ है। मेरी दादी ने जब जंग हुई थी, तब अपना सोना देश को दिया था।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस मंगलसूत्र का इस्तेमाल हमारे देश की महिलाएं करती हैं उसका इतिहास क्या है और इसका कांसेप्ट भारत में कैसे आया।

मंगलसूत्र

जानकारी के अनुसार प्राचीन काल में आभूषणों को शादी में इस्तेमाल बहुत ही शुभ माना जाता था। मनुस्मृति में दुल्हन के गहनों को ‘स्त्री धन’ के रूप में जिक्र है। गहने दुल्हन संपत्ति हो जाती है जब उसे शादी के वक्त दी जाती है।

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हीरे और पेंडेंट वाले आधुनिक मंगलसूत्र 

आज मंगलसूत्र के कई तरह के मार्केट में डिज़ाइन्स आ गए हैं। जिसमें हीरे और पेंडेंट वाले अलग- अलग तरह के मंगलसूत्र मार्केट में आपको मिल जाएंगे। लेकिन जानकार बताते हैं कि कभी भी ऐसे आधुनिक मंगलसूत्र हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं थे। पहले मंगलसूत्र के रूप में एक पवित्र धागा होता था।

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पहले था केवल पवित्र धागा

जान ले कि पुराने जमाने में कोई सोने और हीरे का मंगलसूत्र नहीं होता था। बल्कि एक सिंपल धागा होता है। जो कि वक्त के साथ आज बहुत बदल चुका है। समय के साथ इसके कॉन्सेप्ट में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

मंगलसूत्र के नाम 

तमिलनाडु और केरल में इसे ‘ताली’  (जो ताड़ के पेड़ की एक प्रजाति या ताड़ के पेड़ों के झुंड के बारे में बताता है)  हालांकि इस शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई इसका कोई इतिहास में जिक्र नहीं है। लेकिन आज भी गोंड, सावरस और मुंडा जनजातियों के बीच, दूल्हा दुल्हन के गले में ताड़ के पत्ते के साथ एक धागा बांधने की परंपरा है। अब मंगलसूत्र की परंपरा पूरे हर जगह फैल रही है। जिसमें केरल में सीरियाई ईसाई मंगलसूत्र का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उस पर एक क्रॉस का निशान बना होता है। मंगलसूत्र के अलावा उत्तर भारत में बिच्छवा, बंगाल में शंख और मूंगा चूड़ियों भी विवाहित होने की निशानी है।

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