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Aerospace में भारत को मिली बड़ी कामयाबी, इस खास तकनीक से हवा में उड़ान भरेगा Aircraft, जानें क्या है इसकी खासियत

BY: Ankita Pandey • LAST UPDATED : September 15, 2024, 7:18 pm IST
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Aerospace में भारत को मिली बड़ी कामयाबी, इस खास तकनीक से हवा में उड़ान भरेगा  Aircraft, जानें क्या है इसकी खासियत

Indian Aerospace Technology

India News (इंडिया न्यूज), Indian Aerospace Technology: एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में भारत लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब देश ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी में सौर ऊर्जा से चलने वाला विमान विकसित किया गया है। खास बात यह है कि यह विमान लगातार 90 दिनों तक आसमान में उड़ान भरने में सक्षम है। भारतीय एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में यह एक बड़ी उपलब्धि है। इससे अब भारत उन चंद देशों की श्रेणी में आ गया है जो उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म बनाते हैं। विमान के एक छोटे मॉडल का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।

सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला मानव रहित विमान

सौर ऊर्जा से उड़ने वाला यह एयरोस्पेस लेबोरेटरी द्वारा विकसित पहला मानव रहित विमान है। यह अपने आप में ही अद्भुत है। इसको लेकर और भी कई निरीक्षण किए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल भारत के नाम यह नई उपलब्धि जुड़ गई है।

5G सिग्नल संचारित करने की क्षमता

HAPS एक ड्रोन की तरह है जो इसी तरह के वातावरण में काम करता है। यह वाणिज्यिक हवाई यातायात से ऊपर उड़ता है और कई तरह के अनुप्रयोग प्रदान करता है। विमान का उपयोग निगरानी से लेकर 5G सिग्नल संचारित करने तक हर काम के लिए किया जा सकता है। इस हाई-टेक तकनीक को 12 से 15 सितंबर तक आयोजित भारत रक्षा विमानन प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में प्रगति को प्रदर्शित करते हुए कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

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फरवरी में एनएएल ने छोटे विमान का परीक्षण किया

एनएएल ने फरवरी में चल्लकेरे में एचएपीएस प्रोटोटाइप या छोटे विमान का सफल परीक्षण किया था। हालांकि, इसकी लंबाई केवल पांच मीटर थी और इसका वजन केवल 23 किलोग्राम था। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि 2027 तक वे 30 मीटर के पंखों और 100 किलोग्राम वजन वाला विमान बना लेंगे। यह 15 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम होगा।

क्या है सोलर एयरक्राफ्ट

सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान वे होते हैं जो सोलर सेल से ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसमें बैटरी या हाइड्रोजन का उपयोग करके ऊर्जा संग्रहीत की जाती है। इसमें लगा सोलर पैनल विमान के कुल वजन का लगभग 25 प्रतिशत होता है।

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