India News (इंडिया न्यूज), FPV Drones In Indian Army : आज के समय में दुनिया में कई जगहों पर युद्ध चल रहा है तो कई जगहों पर युद्ध जैसे हालात हैं। इन लड़ाइयों में सबसे खास बात यह है कि दिन-प्रतिदिन तकनीक और उन्नत होती जा रही है। इन्हीं में से एक है FPV ड्रोन। इस हथियार की ताकत दुनिया देख चुकी है। सीरिया में असद की सरकार को उखाड़ फेंकने में FPV ने बड़ी भूमिका निभाई थी। अब इसे भारतीय सेना में भी शामिल कर लिया गया है।
आपको बता दें कि FPV ड्रोन का मतलब है फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सेना की 9वीं कोर की फ्लेउर-डी-लिस ब्रिगेड ने टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) चंडीगढ़ के साथ मिलकर इसे विकसित किया है। इसका सफल परीक्षण भी किया गया और अब इसे सेना में भी शामिल कर लिया गया है।
FPV Drones In Indian Army : भारतीय सेना में एफपीवी ड्रोन हुए शामिल
यह ड्रोन कामिकेज़ एंटी टैंक म्यूनिशन से लैस है। FPV ड्रोन बनाना भारतीय सेना में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। सेना की ओर से इसका ट्रायल वीडियो भी जारी किया गया है। इसमें 400 ग्राम विस्फोटक से टारगेट पर निशाना साधते हुए दिखाया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, FPV ड्रोन प्रोजेक्ट अगस्त 2024 में शुरू किया गया था। इसकी असेंबली ड्रोन राइजिंग स्टार ड्रोन बैटल स्कूल में की गई है। वहीं, मार्च 2025 तक 100 से ज्यादा ड्रोन भी तैयार किए जा चुके हैं। वहीं, अगर इनकी कीमत की बात करें तो हर ड्रोन की कीमत 1,40,000 रुपये है। सेना में 5 FPV ड्रोन भी शामिल किए जा चुके हैं। वहीं, सेना को अभी 95 ड्रोन मिलने बाकी हैं।
यह ड्रोन पेलोड के लिए डुअल सेफ्टी मैकेनिज्म से लैस है। जिससे ऑपरेटर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग और उड़ान के दौरान किसी भी आकस्मिक विस्फोट को रोकता है। इसे ड्रोन पायलट ही एक्टिवेट कर सकता है। इसमें लाइव फीडबैक रिले सिस्टम FPV गॉगल्स के जरिए पायलट को पेलोड की स्थिति के बारे में रियल टाइम अपडेट देता है।
सबसे खास बात यह है कि यह ड्रोन उड़ाते समय सही और तेज फैसले लेने में मदद करता है। आम तौर पर छोटे एफपीवी ड्रोन की रेंज 6 से 7 किलोमीटर बताई जाती है। इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए किसी कमांड और कंट्रोल सेंटर की जरूरत नहीं होती। इसकी खासियत यह है कि इसे दुश्मन के इलाके से महज तीन से पांच किलोमीटर दूर किसी भी बंकर में बैठकर भी ऑपरेट किया जा सकता है।
सीरिया में बशर अल-असद की सरकार को गिराने में यूक्रेन का बड़ा हाथ था। इसने एचटीएस के एफपीवी ड्रोन को ट्रेनिंग और मदद की, जिससे असद को उखाड़ फेंका गया। रूस-यूक्रेन युद्ध में इस तरह के एफपीवी ड्रोन का खूब इस्तेमाल हुआ था। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 8 दिसंबर को जब गोलानी के नेतृत्व वाली सेना ने सीरिया के इदलिब पर हमला किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, उससे पहले ही यूक्रेन की खुफिया एजेंसी ने अपने 20 ड्रोन ऑपरेटर और 150 फर्स्ट पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन हयात तहरीर अल-शाम के गढ़ इदलिब में भेज दिए थे।
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