International Labour Day 2022 : अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष
इंडिया न्यूज: हर साल आज यानी 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (लेबर-डे) मनाया जाता है। आज का दिन मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का है। ये दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। कहते हैं मजदूर दिवस मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता […]
इंडिया न्यूज: हर साल आज यानी 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (लेबर-डे) मनाया जाता है। आज का दिन मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का है। ये दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। कहते हैं मजदूर दिवस मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है। कई ऐसे देश भी हैं, जहां पर इस दिन अवकाश रखा जाता है। तो चलिए जानते हैं क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस। इस दिन की शुरुआत कब और कैसे हुई।
भारत में लेबर डे को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है। वहीं 1 मई को ही महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्य बॉम्बे प्रदेश का हिस्सा थे। महाराष्ट्र में इस दिन को महाराष्ट्र दिवस, जबकि गुजरात में इसे गुजरात दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
एक मई सन् 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से अन्तरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरूआत हुई थी। कहते हैं अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित करने को लेकर आंदोलन पर चले गए थे। 1 मई 1886 के दिन मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे।
इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी। इसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें निर्णय लिया गया कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। इसी के साथ भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की नींव पड़ी।
भारत में पहली बार मजदूर दिवस कब मनाया गया
भारत में मजदूर दिवस की शुरूआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी आॅफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरूआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
इंटरनेशनल लेबर डे को आमजन से परिचित कराने और इसे मनाने के पीछे कई मुख्य उद्देश्य हैं। जैसे-मजदूर संघठन को मजबूत करना। मजदूरों और श्रमिकों के प्रति सम्मान दिखाना। उन्हें उनके हक से रूबरू कराना। मजदूर वर्गों की आवाजों को बुलंद करना। उनके योगदान को यादगार बनाना जैसे अनेकों उद्देश्य शामिल हैं।
मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी-बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन की ओर से इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों की ओर से मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।