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इंडिया न्यूज, पटना:
शायद ऐसा कोई नहीं होगा जो कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को नहीं जानता होगा। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई (CPI) नेता कन्हैया कुमार ने कांग्रेस (Congress) का दामन थाम लिया है। उन्हें लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे उन पर भी विराम लग गया है। इसे शुरू से समझें तो कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इन दिनों चुनावी रणनीतिकार प्रयाांत किशोर की सलाह पर युवा नेताओं की नई टीम बना रहे हैं।
कन्हैया (Kanhaiya Kumar) की कांग्रेस में एंट्री इसी टीम राहुल में हुई है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें बिहार में अपना चेहरा बना सकती है। कांग्रेस उनमें अगले लोकसभा चुनाव में बिहार का खिवैया के रूप में देख रही है। ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस कन्हैया का उपयोग उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भी कर सकती है।
मंगलवार की शाम दिल्ली में बिहार के कन्हैया कुमार एवं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस में शामिल हुए। इन दोनो की कांग्रेस में एंट्री के समय राहुल गांधी की मौजूदगी बड़ा संदेश देती दिख रही है। इस दौरान कन्हैया ने कांग्रेस को देश की सबसे पुरानी और लोकतांत्रिक पार्टी बताते हुए कहा कि “कांग्रेस नहीं तो देश नहीं है। देश को महात्मा गांधी के विचारों, भगत सिंह की वीरता और बाबसाहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान की आवश्यकता है।”
कन्हैया को कांग्रेस में शामिल होने में बिहार के विधायक शकील अहमद की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान दोनों नेताओं को साथ घूमते देखा गया था। कन्हैया को राहुल गांधी तक पहुंचाने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। प्रशांत किशोर ने कन्हैया की दो बार राहुल गांधी से मुलाकात करवाई। सूत्रों की माने तो कन्हैया को कांग्रेस में शामिल करवाने में जौनपुर के पूर्व विधायक मो. नदीम जावेद ने भी अहम भूमिका निभाई है।
राजनितिक दिग्गजों के अनुसार कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में कन्हैया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ बड़े चेहरे के रूप में खड़ा कर सकती है। कांग्रेस कन्हैया का उपयोग उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी करना चाहती है।
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