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India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Rape Murder Case:कोलकता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त 2024 को एक जूनियर डॉक्टर के साथ पहले बलात्कार किया जाता है और फिर हत्या कर दी गई।कॉलेज के प्रिंसिपल इस बलात्कार-हत्या के मामले को आत्महत्या में बदलने की कोशिश करते हैं। लेकिन नाकाम हो जाते हैं।
जूनियर डॉक्टर को न्याय दिलाने की कोशिश पूरे देश में शुरू हो जाती है और लोग सड़कों पर उतर आते हैं। दबाव में आकर कॉलेज के प्रिंसिपल घटना के 4 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं। लेकिन ये प्रिंसिपल कौन हैं, जिनसे सीबीआई इस मामले में लगातार पूछताछ कर रही है।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल बनने से पहले कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल रह चुके हैं। इसके साथ ही वो सर्जन और ऑर्थोपेडिक्स भी हैं। उन पर न सिर्फ हत्या को आत्महत्या में बदलने की कोशिश का आरोप है। बल्कि उन्होंने पीड़िता का नाम और पहचान भी उजागर की है।
इसके अलावा उनके बारे में तब और चर्चा शुरू हो गई जब पता चला कि उनके तृणमूल कांग्रेस से संबंध हैं। इसीलिए उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है। जून 2023 में कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल के पद पर रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे थे। इसके बाद उनका तबादला मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में कर दिया गया था। लेकिन 48 घंटे के अंदर ही उन्हें उनके पिछले पद पर बहाल कर दिया गया था। इसके बाद सितंबर 2023 में रैगिंग से जुड़ी एक घटना के बाद उनका तबादला आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर कर दिया गया था।
पूर्व सहकर्मियों और छात्रों ने अपनी बात रखी एक इंटर्न ने द वायर को बताया कि डॉ. संदीप घोष “बेहद प्रतिशोधी” हैं और “छात्रों को आतंकित करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं” और उन्हें “उनकी बात नहीं मानने” पर “गंभीर परिणाम” भुगतने की धमकी देते हैं। द वायर ने इंटर्न के हवाले से कहा, “उनके खिलाफ आवाज उठाने के बाद कई छात्र फेल हो गए हैं।” आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने भी यही दावा किया है। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. घोष अस्पताल में माफिया राज चलाते हैं। “वह [संदीप घोष] बहुत भ्रष्ट व्यक्ति हैं। वह छात्रों को फेल कर देते थे, टेंडर ऑर्डर पर 20 फीसदी कमीशन लेते थे… वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में किए गए हर काम के लिए पैसे लेते थे अली ने कहा, “वह बहुत शक्तिशाली है। मैंने 2023 में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। [आरजी कर बलात्कार-हत्या की घटना के बाद] उसका इस्तीफा महज दिखावा था।”
डॉ. घोष पर उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के मल्लिक बागान इलाके में उनके पुराने पड़ोसियों ने भी घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है। हिंदुस्तान टाइम्स बांग्ला की एक रिपोर्ट में उनके पूर्व पड़ोसी के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने अपनी पत्नी के पेट में लात मारी थी, जब उसने सी-सेक्शन के जरिए बच्चे को जन्म दिया था। कथित तौर पर उसकी चीखें सुनकर पड़ोसी उनके घर पहुंचे थे। कथित तौर पर उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां देखा गया कि पिटाई के कारण उसके कई टांके उखड़ गए थे। डॉ. घोष की पत्नी भी कथित तौर पर एक डॉक्टर थीं। इस रिपोर्ट के अनुसार, घोष सरकारी अस्पताल में कार्यरत होने के बावजूद अपने घर पर मरीजों की जांच करते थे और “अतिरिक्त शुल्क” लेते थे।
मौजूदा मामले में जब डॉ. घोष को बलात्कार-हत्या की सूचना मिली तो वह शुरू में बहुत गुस्से में थे। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि “लड़की का रात में अकेले सेमिनार हॉल में जाना गैरजिम्मेदाराना था”। दूसरा, उनके अधीन अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने कथित तौर पर पहले महिला के परिवार को फोन करके बताया कि वह बीमार है और फिर 20 मिनट बाद उन्हें बताया कि उसने “आत्महत्या कर ली है”।
यह सब उसकी मौत के करीब छह घंटे बाद हुआ। 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने डॉ. घोष को लेकर कहा कि यह “निराशाजनक” है कि वह मामले में “सक्रिय” नहीं थे। “चूंकि मौत अस्पताल परिसर में हुई थी, इसलिए संस्थान के प्रिंसिपल या तो खुद या उचित निर्देश जारी करके पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते थे।
हमारे विचार में, यह प्रिंसिपल और उनके अधीनस्थ अधिकारियों की ओर से कर्तव्य की स्पष्ट उपेक्षा थी और इसके कई परिणाम हुए और अधिकारियों ने स्वीकार किया कि स्थिति अराजक हो गई और रैपिड एक्शन फोर्स को बुलाना पड़ा”, कथित तौर पर अदालत ने कहा। फिर अदालत ने राज्य के वकील से पूछा, “आप उन्हें क्यों बचा रहे हैं?” और डॉ. घोष को “लंबी छुट्टी पर जाने” के लिए कहा। सीबीआई जांच डॉ. घोष से सीबीआई ने शुक्रवार और शनिवार को करीब 24 घंटे पूछताछ की। उन्हें रविवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया था। अब तक, उनसे कथित तौर पर निम्नलिखित बिंदुओं के बारे में पूछा गया है – पीजीटी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की रात वह कहाँ थे, उन्हें घटना के बारे में किसने बताया और उनकी तत्काल प्रतिक्रिया क्या थी, उन्होंने परिवार को सूचित करने के लिए किसे निर्देश दिया और कैसे और किसने पुलिस से संपर्क किया। एक और सवाल इस आरोप के बारे में था कि माता-पिता को महिला के शरीर को देखने की अनुमति देने से पहले लगभग तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
डॉ घोष से कथित तौर पर यह भी पूछा गया कि उन्होंने अपराध स्थल, सेमिनार रूम के पास नवीनीकरण का आदेश क्यों दिया। जबकि राज्य और कोलकाता पुलिस ने दावा किया है कि सेमिनार रूम को सील कर दिया गया था और उसे छुआ नहीं गया था, “सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के प्रयास” और अपराध स्थल को नुकसान पहुंचाने के व्यापक आरोप हैं।
डॉ घोष से चेस्ट मेडिसिन विभाग के साप्ताहिक रोस्टर के बारे में भी पूछा गया, जहां पीड़िता काम करती थी। कथित तौर पर उसे लगातार 48 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि डॉ घोष के कुछ जवाब “भ्रमित” थे। एजेंसी अब कथित तौर पर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अपराध के पीछे कोई साजिश थी या नहीं। एक मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या अपराध के पीछे कोई साजिश या पूर्व-योजना थी – प्रिंसिपल क्या कर रहा था और क्या वह किसी भी तरह से इस घटना में शामिल है?” साजिश के पहलू की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है क्योंकि महिला के माता-पिता और सहकर्मियों ने आरोप लगाया है कि वह “अत्यधिक काम के दबाव” में थी और डॉ. घोष के “शासनकाल” के दौरान “अधिक काम की सजा” आम बात थी।
इतना ही नहीं प्रिंसिपल साहब का विवादों से पुराना नाता लगता है। वे साल 2021 से आरजी कर अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर भी कार्यरत थे। लेकिन अलग से स्टूडेंट और रेजिडेंट हॉल काउंसिल गठित करने से इनकार करने के विरोध में छात्रों ने भूख हड़ताल कर दी थी, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया था।फिलहाल सीबीआई ने संदीप घोष से दो दौर की पूछताछ की है। इसमें अधिकारियों ने उनसे डॉक्टर को दी जाने वाली 36-48 घंटे की शिफ्ट के बारे में सवाल किए हैं.
संदीप घोष ने जब इस्तीफा दिया था, तब उन्होंने जूनियर डॉक्टरों द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था. उन्होंने कहा था कि मैं इस अपमान को और बर्दाश्त नहीं कर सकता. मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। मुझे पद से हटाने के लिए छात्रों को भड़काया गया और विरोध प्रदर्शन करवाया गया। इन सबके पीछे एक राजनीतिक साजिश है।
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