इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश की बेटियों को हर क्षेत्र में सशक्त करने के लिए प्रयासरत हैं। हाल ही में प्रदेश सरकार ने 196 लाड़लियों को बाघा-हुसैनीवाला बॉर्डर और अमृसतर घूमने के लिए भेजा। ये सभी लाड़लियां स्पोर्ट्स पर्सन हैं। सीमा पर पहुंची सभी हर दिन शाम को होने वाले “बीटिंग रिट्रीट” कार्यक्रम में शामिल हुईं और तैनात जवानों से मिलीं। जवानों के मिलकर न केवल इन सभी का हौसला बढ़ा बल्कि उनके दिल में देश सेवा की भावना भी जागृत हुई।
“बीटिंग रिट्रीट” में शामिल होने वाली बेटियां कहती हैं कि शान से लहराते तिरंगे को देखकर उनका सिर गर्व से ऊंचा हो गया। इन सभी लाड़लियों को जलियांवाला बाग, अमृसतर के स्वर्ण मंदिर भी ले जाया गया। बेटियों ने कहा कि जो इतिहास उन्होंने किताबों में पढ़ा था, हकीकत में देख लिया। भगत सिंह के घर की मिट्टी लेकर लौटी लाड़ली लक्ष्मियां ऊर्जा से भरी नजर आईं।
कटनी की रहने वाली सृष्टि भी वाघा बॉर्डर गई थीं। सृष्टि कहती हैं “जाने से पहले डर लग रहा था क्योंकि मैं मध्यप्रदेश से पहली बार बाहर निकली थी। मैंने वहां बहुत एन्जॉय किया। जवानों के साथ परेड की और उनके साथ खाना भी खाया। वाकई में जो हमारे जवान, हमारे लिए करते हैं, वो सराहनीय है। गर्मी की कड़क धूप में भी वे सीमा पर तैनात रहते हैं। मेरी वहां बड़े-बड़े लोगों से मुलाकात हुई।
माउंट एवेरेस्ट जिन्होंने फ़तेह की है, उनसे भी मेरी मुलाकात हुई। अपने देश का झंडा सबसे ऊपर लहराता देखकर सिर गर्व से ऊपर उठ गया। उसने कहा कि पहले जो चीजें कल्पना लगती थी, वो सब सच लगा। हम स्वर्ण मंदिर और जलियांबाला बाग गए। भगत सिंह के घर की मिट्टी लेकर लौटे। वहां से आने के बाद मैंने खुद में बदलाव महसूस किया। मैं मामा श्री शिवराज सिंह चौहान की वजह से बाहर घूम पाई।“ सृष्टि कहती हैं कि उन्हें क्रिकेट बहुत पसंद है। वे बैटिंग और बॉलिंग दोनों करती हैं।
राजगढ़ की लाड़ली लक्ष्मी अंजली यादव को देश की सीमा पर जाने का ये सुनहरा मौका मिला। अंजली कहती है पूरे सफर में हमारे मामा ने हमें कोई भी कमी महसूस नहीं होने दी। खाने-पीने से लेकर ठहरने तक की अच्छी व्यवस्था थी। मामा शिवराज की वजह से ही मैं मध्यप्रदेश से बाहर निकल पाई। वाघा बॉर्डर पहुंचने के बाद मुझे एक अलग ही अनुभूति हुई। वहां की मिट्टी में एक अलग ही ऊर्जा थी।
तिरंगे को लहराता देख मैंने सैल्यूट किया और गर्व से भर उठी। जलियांवाला बाग में ऐसा लगा, जैसे मैंने इतिहास को बहुत करीब से देख लिया। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर अद्भुत है। वहां पहुंचकर अलग शांति महसूस हुई। वाघा बॉर्डर घूमने के बाद मेरे दिल में देश के लिए कुछ करने की इच्छा मजबूत हुई। मैं डॉक्टर बन कर अपने प्रदेश की सेवा करूंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के लिए जो किया, वो कोई और नहीं कर सकता है। मैं उनकी आभारी हूं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुरू से ही बेटियों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में लाड़लियों के लिए उनका स्नेहिल मन देखने को मिलता है। राज्य की बेटियां लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ लेकर सशक्त हो रही हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। लाड़ली लक्ष्मी 2.0 के माध्यम से अब कॉलेज की फीस भी सरकार भरेगी।
हाल ही में मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश में रीलॉन्च हुई योजना “माँ तुझे प्रणाम” के तहत खेल एवं युवा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने 196 बेटियों को प्रदेश से बाहर निकल कर एक नयी व अलग दुनिया देखने का मौका दिया। मकसद था लाड़लियों के मन को आत्मविश्वास से भर देना। उनकी कोशिशों की वजह से ही प्रदेश की 196 बेटियों की सोच बदली और मन में देश के प्रति कुछ करने का जज्बा जागा है।
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