Hindi News / Indianews / Lok Sabha Election 2024 Pink Statistics Scorching Truth

Lok Sabha Election 2024: गुलाबी आँकड़े, झुलसाती सच्चाई

India News (इंडिया न्यूज़), अरविन्द मोहन | Lok Sabha Election 2024: चुनाव पास आते ही आकर्षक आंकड़ों की बारिश शुरू हो गई है। मामला सिर्फ बीते साल, महीने या तिमाही के आंकड़ों का नहीं है, अगले साल से लेकर 2047 में भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने तक के हैं। जीडीपी में आठ फीसदी का विकास […]

BY: Shanu kumari • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज़), अरविन्द मोहन | Lok Sabha Election 2024: चुनाव पास आते ही आकर्षक आंकड़ों की बारिश शुरू हो गई है। मामला सिर्फ बीते साल, महीने या तिमाही के आंकड़ों का नहीं है, अगले साल से लेकर 2047 में भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने तक के हैं।

जीडीपी में आठ फीसदी का विकास दर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अगले साल के लिए जीडीपी में आठ फीसदी का विकास दर बता दिया है। अभी हाल के समय तक आंकड़ों का खेल ऐसा नहीं था। विदेश व्यापार और औद्योगिक उत्पादन में एक महीने उतार दिखता था तो किसी महीने चढ़ाव। विदेश व्यापार का घाटा कभी रिकार्ड स्तर पर दिखता था तो कभी आयात कम होने से काफी कम। एक गरीबी के ही आँकड़े को लीजिए तो की तरह के आँकड़े हाजिर हैं, जबकि असलियत यही है कि सरकारी स्तर पर आंकड़े जुटाने का काम मनमाने ढंग से हों रहा है। अगर तस्वीर गुलाबी न दिखे तो आँकड़े रोके भी जा रहे हैं और उसके जरा भी अच्छे हिस्से को शोर मचाकर बताया जाता है।

‘राजा का कर्तव्य लोगों की रक्षा करना, हिंदू कभी ऐसा कृत्य नहीं करेगा’ पहलगाम आतंकी हमले पर बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

pm modi

हमारे जीवन के निर्वाह और आर्थिक हैसियत को बताने वाली लगभग तीन दर्जन सूचनाओं से लैस जनगणना का काम रोका हुआ है जबकि इसमें अभी ही पाँच साल की देरी हो चुकी है। विश्व युद्ध और महामारी में भी न रुकी जनगणना अब क्यों रोकी गई है इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस को एक और झटका, बॉक्सर विजेंदर सिंह बीजेपी में शामिल

कोविड से उबरने के बाद कोशिश जारी

इन बातों से जो धनात्मक बातें हैं उनका महत्व काम नहीं होता। जीएसटी का संग्रह और भविष्य निधि कोष के सदस्यों की संख्या निरंतर बढ़ती गई है जिसे सरकार अपनी उपलब्धि ही नहीं रोजगार बढ़ाने के वायदे को पूरा करने की तरह पेश कर रही है। मोदी राज के ज्यादा समय पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत कम रही है और सरकार ने उस अनुपात में आम उपभोक्ताओं को राहत न देकर मोटा राजस्व जमा किया। जिसका उपयोग-दुरुपयोग क्या हुआ यह हिसाब भी साफ नहीं है।

असल में बजट का अनुशासन अब सिर्फ कहने की चीज रह गई है और नोटबंदी जैसा फैसला भी एक आदमी की मर्जी से ही लिया गया। इससे बड़ी बात है कि पूरी दुनिया कोविड से उबरने के बाद आर्थिक रूप से पुरानी स्थिति में आने की कोशिश कर रही है। इसमें अमेरिका काफी हद तक सफल हुआ है तो चीन और यूरोप अभी भी संकट में दिख रहे हैं। वहां असली समस्या लोगों में उपभोग का स्तर गिरना है जिससे कुछ देशों की अर्थव्यवस्था के बैठने का खतरा बन गया है। न सामान बिक पा रहा है न रोजगार मिल रहा है। रोजगार कम हों तो क्रय शक्ति कम होगी और सामान कम बिकेगा तो अर्थव्यवस्था की रोजगार पैदा करने की शक्ति घटेगी। हमारी अर्थव्यवस्था ने ठीक-ठाक वापसी की है। लेकिन कुछ बड़ी बीमारियां हैं जो पीछा नहीं छोड़ रही हैं।

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस बैठक में बड़ा फैसला, इस दिग्गज नेता को पार्टी से निकालने का लिया फैसला

कंपनियों में लगातार चिंता

दुर्भाग्य से अपनी अर्थव्यवस्था को भी यह मर्ज लगा हुआ दिखता है लेकिन न तो शासन को होश है न जानकार लोग ही इसका शोर मचा रहे हैं। सुनहरे आंकड़ों के बीच बड़ी कंपनियों में लगातार यह चिंता पसर रही है कि उनका माल खपत नहीं हो रहा है। और इससे भी ज्यादा चिंता की बात है कि शहरी और अमीर लोगों की जरूरत वाली कुछ चीजों की मांग तो बढ़ी है लेकिन आम उपभोक्ता और ग्रामीण इलाकों में मांग नहीं बढ़ी है। यह फासला भी बढ़ता जा रहा है। जो लोग इस विरोधाभास पर नजर रखे हुए हैं वे अपने हिसाब से कुछ कारण और समाधान भी बताते हैं लेकिन चुनाव जीतने भर की चिंता वाली सरकार को इन पर ध्यान देने का होश नहीं लगता। वह इस बात से खुश है कि वर्ष 2023-24 में जीएसटी कलेक्शन 20 लाख करोड़ से पार हों गया है।

Loktantra Bachao Rally: लोकतंत्र बचाव रैली में उमड़ा जनसैलाब? जानें वायरल तस्वीर की पूरी सच्चाई

आत्मघाती आंकड़ा और मोह

पर यह एक आत्मघाती आंकड़ा और मोह है। असल में इसका उत्पादन बढ़ाने से रिश्ता नहीं है। भूमंडलीकरण आने और आईटी के प्रसार से अब काफी सारा कारोबार अनौपचारिक क्षेत्र से निकल कर औपचारिक बनाता जा रहा है। छोटे कारोबारी और दूकानदारों का कर के और औपचारिक अर्थव्यवस्था में आना स्वागत योग्य बदलाव है पर आनलाइन कारोबार के देहात तक पहुँचने से कितनी दूकानें बंद हुई हैं या कितने छोटे धंधे वालों की आमदनी कम हुई है यह हिसाब नहीं है।

जिस तरह छोटे किसान कमाई कम होते जाने पर भी खेती से चिपके रहते हैं उसे तरह इन लोगों के पास भी उसे धंधे में बने रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बेरोजगार नौजवानों की फौज सुबह छह बजे से रात दस बजे तक कूरियर सेवा देने, इ रिक्शा चलाने और इसी तरह के कम आमदनी वाले काम करने में होड लगाए हुए हैं। पेंशन, प्राविडन्ट फंड और दूसरी सुविधाएं कौन मांगेगा जब न्यूनतम मजदूरी मांगने का होश नहीं है। कानून होने के बावजूद खुद सरकार मनरेगा में लाखों लोगों से न्यूनतम मजदूरी डर से काम पर काम कराती है तो बाकी पर कानून कौन लागू कराएगा।

Indian Rituals: भारत में की जाने वाली ये अजब-गजब प्रथाएं! जानकर हैरान हो जाएंगे आप

सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकानामी

सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकानामी के अनुसार वर्ष 2023-24 में 27.9 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ। पिछले साल यह आंकड़ा 38.96 लाख करोड़ रुपए का था। सरकार इसे इठलाते हुए पेश करती है लेकिन अनेक लोग इस आँकड़े को हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियादी बीमारी से जोड़ते हैं। अगर विकास का स्तर साल में सिर्फ सात फीसदी हों और निवेश का स्तर जीडीपी के 30 से 35 फीसदी पर आ जाए तो जाहिर है लोग पेट काटकर निवेश कर रहे हैं। उपभोग का स्तर तो चार से पाँच फीसदी भी नहीं बढ़ता। इस पर तुर्रा यह कि राष्ट्रीय आय में श्रम का हिस्सा निरंतर गिर रहा है।

माना जाता है कि हमारे यहां महामारी की तुलना में आज करीब डेढ़ करोड़ ज्यादा मजदूर खाली बैठे हुए हैं। पूंजी आए और श्रम का हिस्सा कम होता जाए यह विरोधाभासी विकास तब ज्यादा अच्छी तरह समझ आता है जब हम समाज के एक छोटे हिस्से की बड़े घर, बड़े फ्लैट, बड़ी कार, महंगे सौन्दर्य प्रसाधन, विदेश भ्रमण, बाहर भोजन वगैरह के खर्च को देखें। फिर समझ आता है कि बाहर छूटे बड़े हिस्से के जीवन में और ज्यादा कठिनाई क्यों आती जाती है। अरबपतियों की संख्या बढ़ाना बुरा नहीं है लेकिन देश के करोड़ों लोगों के जीवन में जहर घोलकर नहीं।

Tags:

Breaking India NewsIndia newslatest india newsLok Sabha Election 2024 Datelok sabha election 2024 monthlok sabha election date 2024opinion poll 2024 lok sabha electionstoday india news
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue