संबंधित खबरें
महाराष्ट्र में इन 4 नोताओं की अलग ही चल रही जंग, जानें क्या है असली-नकली का महायुद्ध?
Maharashtra में कौन बनाएगा सरकार…नतीजों से पहले ही हो गया खुलासा? जानें कौन संभालेगा 'सिंहासन'
Jharkhand Assembly Hot Seat: सोरेन परिवार, बाबूलाल मरांडी से लेकर चम्पई सोरेन और सुदेश महतो तक, झारखंड के इन दिग्गजों के किस्मत का आज होगा फैसला
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: महाराष्ट्र में BJP गठबंधन आगे, तो झारखंड में JMM गठबंधन को बढ़त, वोटों की गिनती जारी
सेब, जूस में मिलावट के बाद अब…केरल से सामने आया दिलदहला देने वाला वीडियो, देखकर खौल जाएगा आपका खून
BJP ने शुरू की दिल्ली विधानसभा की तैयारी… पूर्व APP नेता ने की जेपी नड्डा से मुलाकात, बताई पार्टी छोड़ने की बड़ी वजह
India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: कांग्रेस आम चुनाव 2024 में अगर हारती है तो तीन चेहरे प्रमुख रूप से निशाने पर रहने वाले हैं। इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे,संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और मिडिया की जिम्मेदारी संभाल रहे जयराम रमेश। यह संयोग है या राहुल की जिद कि पार्टी के तीनों नेता दक्षिण भारतीय हैं। खरगे भले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं लेकिन आज के दिन असल में पार्टी को वेणुगोपाल और जयराम रमेश ही चला रहे हैं। राहुल गांधी इन दोनो नेताओं पर ही ज्यादा भरोसा करते है। इन नेताओं में एक भी उत्तर भारत की राजनीति की समझ नहीं रखता है। पार्टी जीती तो सबसे ताकतवर नेता फिर यही बन जायेंगे।
चेहरा भले ही पार्टी ने घोषित नहीं किया है लेकिन इस बार भी फेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ही रहे। राहुल ही घोषणा करते थे इंडी गठबंधन की सरकार बनी तो पैसा ,रोजगार पहले दिन से ही मिलने लगेगा। दरअसल 2019 के आम चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी की डांट खाने वाले अधिकांश चेहरे इस बार के लोकसभा चुनाव में पूरी तरह गायब दिखाई दिए। सबसे अहम पार्टी को अहमद पटेल जैसा नेता की कमी खली। पटेल का 2020 में कोरोना के चलते निधन हो गया था। उनकी जगह संगठन महासचिव वेणुगोपाल ने लेने की कोशिश की, लेकिन गैर हिंदी भाषी होने के चलते वह सफल नहीं रहे।
Loksabha Elections 2024: नतीजों से पहले INDIA गठबंधन ने क्यों बुलाई बैठक? 1 जून को जुटेंगे सभी नेता
गांधी परिवार और नेताओं के बीच वह सेतू नहीं बन पाए। बीते पांच साल में पार्टी के अनुभवी नेता या तो साइड कर दिए गए या पार्टी छोड़ कर चले गए। 2019 के चुनाव के समय दूसरी तीसरी पंक्ति के नेताओं ने 2024 में कांग्रेस को चुनाव लड़ाने की एक तरह से जिम्मेदारी ली। मल्लिकार्जुन खरगे, के सी वेणुगोपाल और जयराम रमेश की तिकड़ी राहुल और प्रियंका गांधी के साथ पूरे चुनाव की जिम्मेदारी संभाले हुए दिखे। प्रियंका गांधी 2019 में भी सक्रिय थी,लेकिन इस बार उन्होंने पूरे देश में प्रचार कर अपने को राष्ट्रीय रूप में स्थापित किया । इनके बाद कोषाध्यक्ष अजय माकन और प्रवक्ता पवन खेड़ा नजर आए है। माकन ने तो अपने को दिल्ली की राजनीति दूर रख खजांची के रूप में वह सक्रिय रहे। खेड़ा प्रवक्ता के रूप में पार्टी का पक्ष रखते।
दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार और पूर्व आप पार्टी के नेता योगेंद्र यादव भी राहुल के भरोसेमंद बने। पिछली बार सबसे ज्यादा सक्रिय और अहम चेहरा रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस बार अपने को कर्नाटक और हरियाणा तक सीमित रखने में ही भला समझा। मीडिया में ज्यादा दिखने की भूमिका इस बार जयराम रमेश ने निभाई।
Lok Sabha Election 2024: इन छह सीटों पर बीजेपी को लग सकता है झटका, फलोदी सट्टा बाजार का बड़ा दावा
2019 की टीम की तुलना आज की टीम से की जाए तो बहुत ही कमजोर नजर आती है। तब अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, ए के एंटनी, अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, आर पी एन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जतिन प्रसाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी, प्रमोद तिवारी, प्रवीण चक्रवर्ती, सुष्मिता देव, अंबिका सोनी, जनार्दन द्विवेदी आदि एक मजबूत टीम नजर आती थी। लेकिन 2019 में राहुल ने अपने तरह की अलग राजनीति की जिससे पार्टी में युवा बनाम अनुभवी नेताओं के बीच टकराव बढ़ा।
राहुल ने 2019 की करारी हार का ठीकरा नेताओं पर फोड़ अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राहुल यह स्वीकारने को तैयार ही नहीं हुए कि चौकीदार चोर जैसे नकारात्मक प्रचार ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। राहुल ने इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन पार्टी की फ्रंट सीट कभी नहीं छोड़ी। उनके इस्तीफे ने पार्टी को बड़े संकट में डाला। जैसे तैसे कुछ समय के लिए उनकी मां सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली। लेकिन पार्टी लगातार राज्यों में हार कमजोर होती गई। उनके करीबी कई नेता सिंधिया, जतिन प्रसाद, आर पी एन सिंह, सुष्मिता देव, गुलाम नवी आजाद जैसे कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।
Nitish Kumar: ‘फिर से नरेंद्र मोदी बनें मुख्यमंत्री’, सभा में फिसली नीतीश कुमार की जबान
केरल जैसे राज्य में कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई। उत्तर प्रदेश में पार्टी का वोट प्रतिशत 3% रह गया। विवादों के बीच पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हुआ। लोकसभा चुनाव की घोषणा तक नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी रहा। अशोक चव्हाण,संजय निरुपम जैसे नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। हिंदी बेल्ट वाले राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, में हार के बाद पार्टी में भगदड़ मच गई। इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव पार्टी मजबूती से नहीं लड़ पाई। नेताओं ने विशेष रुचि नहीं ली उतना ही सक्रिय हुए जितना कहा गया। ले दे कर राहुल गांधी उनकी बहन प्रियंका गांधी के इर्दगिर्द चुनाव सिमट कर रह गया। दोनों भाई बहन कितनी सीटें जितवा पाते इसका पता 4 जून को चलेगा। लेकिन इस बार पार्टी हार झेलने की स्थिति में नहीं है। पार्टी हारी तो फिर कांग्रेस में काफी कुछ नया चौंकाने वाले फैसले देखने को मिल सकते हैं।
Lok Sabha Polls: बंगाल में बीजेपी उम्मीदवार की टीम पर हमला, पार्टी ने TMC पर लगाया आरोप
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.