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India News (इंडिया न्यूज), Loksabha Election 2024: ऐसा कभी स्वप्न में भी सोचा नहीं था की कांग्रेस की केंद्र की सत्ता में वापसी की पिपासा इतनी तीव्र हो जाएगी की पितृपक्ष में वह अपने सिद्धांतों का ऐसा तर्पण कर देगी जिसके कारण भारतीय इतिहास और जनता इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगी।
कल कांग्रेस की वर्किंग कमेटी जो इस पार्टी की दिखाने के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है की दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में जो चाहे कुछ भी कहे , अध्यक्ष , वरिष्ठ नेता कुछ भी कहें, होगा वही जो राहुल या परिवार कहेगा। ऐसी सनक अंततः दुखदायी ही होती है।
कल की बैठक में दो निर्णय ऐसे हुए जिसका भारत का अंतरराष्ट्रीय मंच पर धक्का लगना और राष्ट्र के अंदर भारी उथल पुथल मचाने की छमता रखता है। दोनों ही निर्णय सत्ता प्राप्ति के सुख के लिए अदूरदर्शीय और तात्कालिक लाभ के लिए लिए गए प्रतीत होते हैं। और इस पर तुर्रा यह की अपनी दादागिरी और शेखी बखारने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के मंच पर मोजूद होने के बावजूद राहुल ने मंच सम्भाला और दोनो ही निर्णय स्वयं व्याख़ित किये।
फ़िलिस्तीन एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है। भारत के मुस्लिम समुदाय को चुनाव की वेला में खुश करने के लिए राहुल ने निर्णय लिया की हम इज़राइल फ़िलिस्तीन युद्ध में फ़िलिस्तीन के साथ हैं। फ़िलिस्तीन की माँगों के समर्थन में तो भारत सरकार भी है लेकिन हमास के बर्बर , अमानुष, राक्षक, मानवता रहित, भक्षक और दुर्दांत आतंकवादियों ने जो कुकर्म सात अक्तूबर को इज़राइल के निरीह, मासूम, भोले भाले दूधमुँहे बच्चों, बुजुर्गों, नौजवानों, लड़कियों, महिलाओं, फोजियों के साथ किया वह आतंक की पराकाष्ठा थी।
जहां निहत्थों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर मौत के घाट पहुँचाया गया,महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घसीटा गया, बलात्कार किया गया, सिर काटकर लटकाए गए, लाशों को गाड़ियों में डालकर जलूस निकाले गए। इससे अधिक बयान करने के लिए कलम थम गई है। और यह सब इस्लाम के नाम पर हो रहा है। यह सब करते हुए अल्लाह ऊ अकबर के नारे लग रहे थे। यह इस्लाम हो ही नहीं सकता। इस्लाम में यह सब वर्जित है। बहुत से मुस्लिम देश और भारतीय मुखर मुस्लिम नेता इस्लाम के नाम पर इस सब को जायज़ ठहरा रहें है। ख़ैर ग़लत को सही कहना इनकी आदत है। हैरानी तो इस बात की है कांग्रेस ने फ़िलिस्तीन का समर्थन करते हुए हमास के इज़राइल पर आतंकी हमले के लिए एक शब्द भी नहीं कहा और मुस्लिम वोट के ख़ातिर इस आतंकी हमले को मौन स्वीकृति दे डाली।
दूसरा अपराध राहुल ने तब किया जब उन्होंने जिसकी जितनी आबादी उसका उतना हक़ कहते हुए जातीय जनगणना को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया, ऐसे ऐसे ऊलजलूल तर्क दिये जो कोई अर्धविक्षिप्त व्यक्ति ही दे सकता है। यह करते हुए उन्होंने अपनी दादी और पिता के सिद्धांतों का भी क्रिया क्रम कर दिया, अपनी रीढ़ की हड्डी खो चुके वरिष्ठ कांग्रेसियों को भी दरकिनार कर दिया।
अभिषेक मनु सिंघवी जिन्होंने इस विचार का ट्विटर पर विरोध किया था उनका हश्र सबने देखा कैसे उन्हें शर्मिंदा होकर अपना ट्वीट हटाना पड़ा। यह करते हुए राहुल मंडल कमीशन की सिफ़ारिशें घोषित होते ही देश भर में महीनों तक जो हंगामा हुआ था उसे भी भूल गए। यह करके क्या राहुल देश को अराजकता की और ले जाना है, देश की जनता को जात पात, धर्मों में विभाजित कर क्या करना चाहते हैं। मोदीजी ने ठीक ही कहा देश में अभिशाप और देश की सबसे बड़ी आबादी ग़रीबी है जो हर जात, धर्म, वर्ग समुदाय में है। देश का विकास कर उसे समाप्त कर देश का समग्र विकास हो सकता है। राहुल के तर्क, वितर्क, और कुतर्क का जवाब जनता बखूबी देगी लेकिन हैरानी है विपक्ष के असक्षम प्रधानमंत्री पद के दावेदार को देश में आग लगाने और आतंकवादियों का समर्थन करने की क्या ज़रूरत है।
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