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इंडिया न्यूज, कर्नाटक, (Lost In A Lightning Accident) : बिजली दुर्घटना में गंवाए दो युवकों का सफलता पूर्वक कोच्चि में फुल हैंड-ट्रांसप्लांट किया गया। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी इंसान का सफलता पूर्वक फुल हैंड-ट्रांसप्लांट किया गया हो। गौरतलब है कि कर्नाटक के यादगीर में गुलबर्गा इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी में काम करने वाला 25 वर्षीय जूनियर पावर मैन अमरेश ने कुछ वर्ष पहले एक बिजली दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए थे।
18 घंटे तक चली एक बहुत ही जटिल लेकिन सफल हैंड-ट्रांसप्लांट सर्जरी के जरिए उसे अब उसके दोनों हाथ वापस मिल गए हैं। अमरेश ने कुछ वर्ष पहले एक बिजली दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए थे। वहीं, मध्य पूर्वी क्षेत्र में काम करने वाले विनोद की वर्ष 2017 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी थी।
वर्ष 2017 के सितंबर माह में केरल के कोल्लम जिले में अपने पैतृक स्थान पर यात्रा करने के दौरान विनोद सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। उसकी बाइक एक निजी बस से टकरा गई। जिससे विनोद को सिर में गहरी चोट लगी और उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम में भर्ती कराया गया। भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने उसे 4 जनवरी 2022 को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उसके निधन के बाद विनोद के परिवार वालों ने उनके हाथों सहित उनके अंगों को दान करने की इजाजत दे दी।
गौरतलब है कि कई सालों वर्षो तक बिना हाथों के सहारे जीने वाले अमरेश ने कोच्चि में मौजूद अमरिता अस्पताल में वर्ष 2018 में सितंबर में केरल नेटवर्क फॉर आॅर्गन शेयरिंग (केएनओएस) में अंग दान करने के लिए पंजीकरण कराया था। आखिरकार अमरेश की मेहनत रंग लाई और उन्हें हैंड-ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल बुलाया गया।
अमरेश की सर्जरी में 20 सर्जन और 10 एनेस्थेटिस्ट मौजूद थे। यह टीम डा. मोहित शर्मा और डा. सुब्रमण्यम की देख रेख में काम कर रही थी। यह टीम 10 घंटे तक सर्जरी कर आखिरकार विनोद के दोनों हाथों को सफलतापूर्वक अमरेश के कंधों से जोड़ने में सफलता हासिल किया।
कोच्चि के अमृता अस्पताल में सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ सुब्रमण्यम अय्यर ने इस ट्रांस्पलांट के बारे में बताया कि यह एक बहुत ही जटिल आॅपरेशन था। कंधे के स्तर के पूर्ण-हाथ का ट्रांस्पलांट करना काफी दुर्लभ है। उन्होंने आगे कहा कि अब तक दुनियाभर में सिर्फ तीन ही ऐसी सर्जरी हुई है।
डॉ सुब्रमण्यम अय्यर ने बताया कि अमरेश की सर्जरी सफल रही। सर्जरी के तीन हफ्ते बाद अमरेश को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हैंड-ट्रांसप्लांट के बाद अमरेश ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि उसने कभी यह उम्मीद नहीं थी कि उसे दोबारा हाथ मिल जाएगा। लेकिन उसे दोबारा हाथ मिल गया। यह किसी सपने से कम नहीं है।
अमरेश की तरह बगदाद में काम करने वाला यूसुफ हसन ने भी अपना दोनों हाथ एक दुर्घटना में खो दिया था। उसे हाई-वोल्टेज इलेक्ट्रिक केबल के संपर्क में आने से उसे बिजली का झटका लगा था। डॉक्टरों को जान बचाने के लिए उसका दोनों हाथ कोहनी से काटना पड़ा था। इसके बाद यूसुफ ने केरल के अमरिता अस्पताल में हैंड- ट्रांसप्लांट कराने के लिए संपर्क किया। यूसुफ ने भी केरल नेटवर्क फॉर आॅर्गन शेयरिंग में अंग दान करने के लिए पंजीकरण कराया था।
आखिरकार यूसुफ का भी सफलतापूर्वक हैंड-ट्रांसप्लांट किया गया। हैंड-ट्रांसप्लांट के बाद युसूफ ने भी अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह मेरा दूसरा जन्म है। अब मैं एक सामान्य जीवन जीने के लिए काफी उत्सुक हूं। मुझे अपना दोनों हाथों को खोना एक त्रासदी से कम नहीं था। मैं अमृता अस्पताल के डॉक्टरों को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। जिनके वजह से मुझे नई जिंदगी मिली।
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