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Madras High court: अंबेडकर की तस्वीर को ना, सिर्फ महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की फोटो लगाए, मद्रास हाईकोर्ट का सर्कुलर

India News (इंडिया न्यूज़), Madras High court, चेन्नई: अदालतों में बी आर अंबेडकर की तस्वीर लगाने को लेकर टिप्पणी करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने सभी जिला अदालतों को एक सर्कुलर जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि अदालत में केवल महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियां व तस्वीर लगाई जा सकती हैं। कोर्ट ने […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Madras High court, चेन्नई: अदालतों में बी आर अंबेडकर की तस्वीर लगाने को लेकर टिप्पणी करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने सभी जिला अदालतों को एक सर्कुलर जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि अदालत में केवल महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियां व तस्वीर लगाई जा सकती हैं। कोर्ट ने हाईकोर्ट की पूर्ण अदालत द्वारा पहले पारित प्रस्तावों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है।

  • शांत भंग करने का खतरा
  • फुल कोर्ट मीटिंग में मांग खारिज
  • सर्कुलर भेजा गया

कोर्ट ने अपने सर्कुलर में कहा कि महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियों और चित्रों को छोड़कर, तमिलनाडु में अदालत परिसर के अंदर कहीं भी कोई अन्य चित्र नहीं लगा सकते। यह मामले तब खड़ा हुआ जब कई अधिवक्ता संघों ने आंबेडकर और संबंधित संघ के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के फोटो का अनावरण करने की अनुमति मांगी थी। इस साल 11 अप्रैल को आयोजित फुल बेंच मीटिंग में हाईकोर्ट ऐसे सभी अनुरोधों को खारिज कर दिया था। 7 जुलाई को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार-जनरल ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया था।

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Madras High court

पहले भी मांग खारिज

सर्कुलर ने अनुसार, विभिन्न अधिवक्ता संघों द्वारा वर्ष 2008, 2010, 2011, 2013, 2019 और अप्रैल 2023 में भी इसी तरह के अनुरोध किए गए थे, लेकिन इन्हें अस्वीकार कर दिया गया था। साल 2008 में राज्य के सभी अदालत कक्षों में राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगाने के लिए तमिलनाडु डॉ. बीआर अंबेडकर एडवोकेट्स एसोसिएशन के अनुरोध को खारिज किया गया था।

कई बार पास किया प्रस्ताव

11 मार्च, 2010 को हुई एक बैठक में पूर्ण अदालत ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि किसी भी अदालत परिसर में, जिसमें चेन्नई या मदुरै पीठ, जिला अदालतें, तालुक अदालतें, या कोई अन्य अदालत परिसर हों, किसी भी मूर्ति का निर्माण नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट ने फुल बेंज ने इसी प्रसताव को 2011 और 2013 में भी दोहराया गया था। जब अदालतों की इमारत में डॉ. आंबेडकर का चित्र लगाने का अनुरोध किया गया था।

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