India News (इंडिया न्यूज़), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति चुनाव तक किस करवट बैठेगी कह पाना बड़ा मुश्किल हो गया। इंडिया गठबंधन हो या एनडीए दोनों में टूट के आसार दिखाई दे रहे हैं। अगर वाकई दोनों गठबंधन में टूट होती है तो बीजेपी शायद फायदे में रहेगी। लोकसभा चुनाव के बाद हालात कुछ ऐसे बनते जा रहे हैं कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना महाविकास आगाड़ी गठबंधन से अलग हो सकती है। इसमें देखना होगा कि ठाकरे बीजेपी के साथ जायेंगे या अलग ही लडेंगे। हालांकि उनकी तैयारी सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। बीजेपी के लिए उद्धव ठाकरे का कांग्रेस से किसी भी रूप में अलग होना फायदे का सौदा माना जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि उद्धव ठाकरे वाली यूबीटी का लोकसभा चुनाव के समय सीटों को लेकर कांग्रेस के साथ टकराव शुरू हो चुका था। लेकिन जैसे तैसे सीटों का बंटवारा हुआ। रिजल्ट में यूबीटी घाटे में रही। कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी ज्यादा फायदे में रही। यूबीटी को 21 में से 9 ही सीटों पर सफलता मिली। जबकि कांग्रेस 17 में से 13 पर जीत मिली। जबकि पिछली बार कांग्रेस की एक ही सीट थी। पवार की एनसीपी 10 में से 8 पर सफल रही। सबसे ज्यादा घाटा यूबीटी को ही हुआ। 19 से घटकर 9 पर आ गई। अगर लोकसभा के परिणामों के हिसाब से विधानसभा में सीट शेयरिंग हुई तो यूबीटी सबसे ज्यादा घाटे में रहेगी। कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर फिर सीएम पद की भी मांग करेगी।
यूबीटी को लगता है कि गठबंधन से उसे ज्यादा फायदा नहीं हुआ जबकि कांग्रेस और पवार की पार्टी को लाभ मिला। शरद पवार कह चुके हैं कि छोटे दलों को कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए। ठाकरे की शिवसेना को यह भी खतरा है कि पवार की एनसीपी का कांग्रेस में विलय हो गया तो वह कमजोर हो जायेंगे। जानकार भी मानते हैं कि पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो जाता है और शरद पवार को सीएम फेस बना उद्धव ठाकरे को कमजोर किया जाएगा। शरद पवार गुरुवार को पुणे में बयान भी दे चुके हैं कि उनकी कोशिश महाराष्ट्र की कमान संभालने की है।
पवार के इस बयान का यही मतलब निकाला जा रहा है कि वह एक बार फिर से महाराष्ट्र का सीएम बनना चाहते हैं। यह तभी संभव है कि जब कांग्रेस साथ दे। कांग्रेस पवार के नाम पर तैयार भी हो जायेगी। उधर उद्धव ठाकरे की कोशिश फिर से सीएम बनने की है। यूबीटी के प्रवक्ता संजय राउत ने आज फिर सीएम की कुर्सी पर दावा ठोक कर कहा है उनके नेता उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के अगले सीएम होंगे। कांग्रेस को यह सीधा संदेश माना जा रहा है। यूबीटी को लग रहा है कि उन्हें कमजोर किया जा रहा है। इस स्थिति में ठाकरे कांग्रेस के गठबंधन से अलग हो सकते हैं।
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ठाकरे अगर अलग हुए तो बीजेपी उन्हें साथ लाने की पूरी कोशिश करेगी। अभी जो बीजेपी के हालात है वह ठाकरे की सभी शर्तें स्वीकार कर लेगी। बीजेपी ठाकरे को सीएम पद देने के साथ सीटों की हिस्सेदारी भी ज्यादा दे सकती है। देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं को दिल्ली लाया जा सकता है। बीजेपी को अजीत पवार वाली एनसीपी से कोई फायदा भी नहीं दिख रहा है। जहां तक सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना का सवाल है तो वह भी ठाकरे को स्वीकार कर लेगी।
बीजेपी अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। इसी माह में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद महाराष्ट्र की स्थिति साफ हो जाएगी। संकेत यही हैं महाराष्ट्र से ही कोई अध्यक्ष बनेगा। संघ का उसमें पूरा दखल होगा। संघ अगर बीच में पड़ा तो फिर ठाकरे और बीजेपी के बीच बात बन जायेगी। बीजेपी को ठाकरे की शिवसेना के अकेले चुनाव लड़ने से भी फायदा है। इसके चलते एनडीए में शामिल एनसीपी भी टूट सकती है। एमएनएस के नेता राज ठाकरे ने आज अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर बीजेपी को झटका दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उथल पुथल देखने को मिल सकता है।
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