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Maratha Reservation: कौन हैं मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे, जिन्होंने छुड़ाए सरकार के पसीने

Mudit Goswami • LAST UPDATED : November 2, 2023, 1:22 pm IST

India News,(इंडिया न्यूज), Maratha Reservation: महाराष्ट्र इस वक्त मराठा आंदोलन की आग में सुलग रहा है। कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की गई और नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया है। आरक्षण को लेकर राज्य में कहीं मंत्री की गाड़ी पर हमला किया गया है, तो कहीं खुदकुशी की कोशिश हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक प्रदर्शन जारी रहने वाला है।

हालांकि बुधावार को राज्य सरकार ने इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके बाद सभी पार्टियों ने मराठा आरक्षण का समर्थन किया और सरकार ने सभी से शांति बनाने की अपील कई। इसके अलावा खुद सीएम एकनाथ शिदें ने मीडिया के सामने आकर आरक्षण का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल से सरकार पर भरोसा रखने की अपील की और आरक्षण को नई दिशा देने को कहा।

दरअसल, मनोज जरांगे मराठा आंदोलन का इस वक्त सबसे बड़ा चहरा हैं। जो महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर पिछले 8 दिनों से भूख हड़ताल में बैठे हुए हैं। वहीं, अब उन्होंने मांग को लेकर कठोरता बरतते हुए पानी को भी त्याग दिया है।

कौन हैं मनोज जरांगे? 

मालूम हो कि मराठा आरक्षण के लिए आवाज उठाने वाले मनोज जरांगे इस वक्त इतने प्रभावी है कि उनके सामने सरकार की पूरी मशीनरी ठप पड़ गई है। उनकी उम्र 40 साल है। दुबली-पतली कद-काठी वाले मनोज जरांगे ने पूरी राज्य सरकार को हिला दिया है। पिछले 8 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं और उनके अनशन को तुड़वाने में पूरी सरकार के पसीने छूट रहे हैं। सरकार की अनशन तोड़ने की अपील कर रही है लेकिन जरांगे हुंकार भरते हुए कह रहे हैं कि अगर सरकार ने फौरन मांगे नहीं मांगी तो “अन्न क्या जल भी त्याग देंगे।”

अब महाराष्ट्र में मराठा के लिए मनोज जरांगे का कद की बात करें तो उनकी एक आवाज में सड़क पर जनसैलाब उमड़ पड़ता है। मनोज जरांगे हर गलत चीजों पर अवाज उठाते है, इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि साल 2011 से मनोज जरांगे 35 विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।

दूसरी बार अनशन पर बैठे मनोज जरांगे 

वहीं मनोज जरांगे के अनशन का पार्ट-2 है। इससे पहले भी वो भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जब वह पहली बार मराठा आरक्षण को लेकर अनशन पर बैठे, तो सरकार ने एक कमेटी बनाई थी और निर्णय के लिए मनोज जरांगे को 24 अक्टूबर की डेडलाइन दी थी। सरकार के इसी वादे के बाद मनोज जरांगे ने 14 सितंबर को अपनी पहली भूख हड़ताल खत्म कर दी थी। लेकिन जब 24 अक्टूबर को मराठा आरक्षण का वादा नहीं पूरा हुआ तो, 25 अक्टूबर को मनोज जरांगे ने दोबारा अनशन पर बैठ गए।

क्या है मांग?

दरअसल, मनोज जरांगे मराठाओं के लिए ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं। उनकी मांग है कि मराठाओं को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दे क्योंकि ये सर्टिफिकेट उन्हें ओबीसी का दर्जा दिलाएगा। इस बात में उनका दावा है कि निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये ओबीसी थे। लेकिन बाद में ये मराठा बन गए और इनका ओबीसी दर्जा छिन गया। कुनबी जाति के लोगों को महाराष्ट्र में ओबीसी में शामिल किया गया है। इसी मामले को लेकर उनकी सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानो में आरक्षण मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा कुनबी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है बावजूद इसके जरांगे मान नहीं रहे।

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