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India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी पारी की पहली परीक्षा में आसानी से पास हो जायेंगे। अभी तक के जो संकेत हैं कि लोकसभा स्पीकर का पद हो या डिप्टी स्पीकर का विपक्ष बहुत अड़चन डालने की स्थिति में नहीं है। मोदी की पसंद से दोनों पदों पर आम सहमति से चुनाव हो जायेगा। लेकिन असली परीक्षा इसके बाद होगी। सबसे होगा आम बजट। मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण पाने की है। आम चुनाव 2024 की हार का एक प्रमुख कारण महंगाई और बेरोजगारी भी सामने आया। हालांकि किसान वर्ग को राजी करने के लिए कुछ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर शुरुआत कर दी है। आम बजट के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे दो प्रमुख राज्यों के चुनाव होने हैं। दोनों राज्यों में किसान बड़ा असर कारक वोटर है। इन दोनो राज्यों के चुनाव परिणाम सरकार और विपक्ष दोनों के लिए बहुत ही अहम हैं। बीजेपी दोनों राज्य जीतती है तो गठबंधन को ताकत मिलेगी और विपक्ष की आक्रमक नीति कमजोर होगी। अगर किन्ही कारणों से विपक्ष जीता तो फिर सरकार पर दबाव बढ़ जायेगा।
हरियाणा में बीजेपी दस साल से शासन में है। लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोहर लाल खट्टर को बदल नायाब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना चौंकाया था। पीएम मोदी ने ऐसा कर हरियाणा सरकार के खिलाफ बनी एंटी इंकनवेंसी को नियंत्रण करने की कोशिश की थी। लेकिन वहीं खट्टर को केंद्र में मंत्री बना उनका कद भी बढ़ाया। जिसका सीधा असर हरियाणा की राजनीति में पड़ना तय है। क्योंकि बीजेपी हरियाणा में अपने पुराने पेटर्न पर ही चुनाव लड़ेगी। मतलब जाट बनाम अन्य। बीजेपी को यही सूट भी करता है। हालांकि बीजेपी अपनी तरफ से जाट वोटरों को रिझाने के लिए बजट में किसानों को पैकेज देने की घोषणा कर सकती है। उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार भी किया जा सकता है। साथ ही ऐसे नेताओं को पार्टी में लेने की कोशिश करेगी जो जाट समुदाय पर असर डालते हों। किरण चौधरी जैसे नेता से शुरुआत हो गई है।
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किरण अपनी बेटी श्रुति के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई। दो चार पांच सीटों पर भी किरण ने असर डाला तो बीजेपी को लाभ होगा। इसी तरह किसान नेता देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भी अब बीजेपी में हैं और हरियाणा सरकार में मंत्री हैं। आने वाले दिनों में और भी नेता बीजेपी का दामन पकड़ सकते हैं। बीजेपी के लिए हरियाणा इसलिए भी अहम हो जाता है कि दिल्ली से लगा हिंदी बेल्ट वाला राज्य है। इसकी जीत का बड़ा संदेश जाएगा। कांग्रेस हिंदी बेल्ट में बहुत कमजोर हो चुकी है। एक मात्र हिमाचल ही कांग्रेस के पास है। प्रधानमंत्री मोदी भी समझते हैं कि हरियाणा अगर जीते तो कांग्रेस दबाव में आ जाएगी। इसलिए मध्यप्रदेश की तर्ज पर बीजेपी हरियाणा फिर से जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देगी। कांग्रेस जैसे मध्यप्रदेश में अपनी जीत तय मानती थी ठीक उसी तरह अभी से हरियाणा में जीत तय मान रही है वहां पर कमलनाथ पर भरोसा किया था यहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ही पूरा भरोसा है। जो भी पार्टी जीतेगी उसे मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।
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इसके बाद दूसरा अहम राज्य है महाराष्ट्र। महाराष्ट्र की स्थिति हरियाणा से एक दम अलग है। बीजेपी अभी वहां पर कमजोर दिखती है। लेकिन जो राजनीतिक घटनाक्रम वहां पर चल रहा है उससे वहां पर आने वाले दिनों में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। हालांकि बीजेपी की मदद से एकनाथ शिंदे गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। लेकिन सरकार और गठबंधन को लेकर वहां पर खटपट की खबरें आ रहीं है। ठीक उसी तरह जिस तरह कांग्रेस वाले महाविकास आगाडी वाले गठबंधन की। कांग्रेस वाला गठबंधन चुनाव तक बना रहेगा इसको लेकर आशंका जताई जा रही। सूत्रो की माने तो बीजेपी की नजर कांग्रेस गठबंधन पर ही। उद्धव ठाकरे अगर किसी तरह से कांग्रेस गठबंधन से अलग होते हैं तो बीजेपी उनको साधेगी। बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में वापसी का एक मात्र रास्ता यही है कि किसी तरह से ठाकरे कांग्रेस गठबंधन से अलग हो जाएं। समझा जा रहा है कि बजट सत्र के बाद प्रधानमंत्री मोदी दोनों राज्यों को जीतने वाली असल परीक्षा में जुटेंगे।
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