होम / देश / सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया खाद्य पदार्थों में मिलावट का मामला, मंत्री ने दिए 3 बड़े सवालों के जवाब

सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया खाद्य पदार्थों में मिलावट का मामला, मंत्री ने दिए 3 बड़े सवालों के जवाब

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : December 3, 2024, 7:29 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया खाद्य पदार्थों में मिलावट का मामला, मंत्री ने दिए 3 बड़े सवालों के जवाब

kartikeya sharma

India News (इंडिया न्यूज), MP Kartikeya Sharma: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उपभोक्ता आयोगों के पास खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए हैं इसको लेकर खाद्य और सार्वजनिक के वितरण मंत्री श्री बी. एल. वम लेटर लिखा था। जिसका अब जवाब खाद्य और सार्वजनिक के वितरण मंत्री श्री बी. एल. वम ने जारी किया है। बता दें इस लेटर में सांसद कार्तिकेय शर्मा द्वारा  खाद्य पदार्थों में  मिलावट से जुड़े 3 ब़ड़े सवाल पूछे गए हैं। इसमें भारतीय नागरिकों को बिना वीजा यात्रा करने या आगमन पर वीजा देने की सुविधा प्रदान करने के लिए दूसरे देशों के साथ बातचीत करने पर जोर दिया गया।

कार्तिकेय शर्मा ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पूछे ये तीन सवाल

1.खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से दूध, दुग्ध उत्पादों और शिशु आहार में मिलावट के मुद्दे से निपटने के लिए क्या पहल की गई है, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है
2.पिछले दो वर्षों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से उपभोक्ता आयोगों के पास मिलावट के कितने मामले दर्ज किए गए हैं, तत्संबंधी राज्य-वार ब्यौरा क्या है; और
3.विशेष रूप से कम आय और शिक्षा वाले शिकायतकर्ताओं को शिकायत दर्ज करने में सुगमता, समाधान के लिए समय-सीमा आदि के लेकर क्या सहायता प्रदान की गई है, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

जवाब में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री श्री बी. एल. वर्मा ने कहा किभारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना 2008 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करना तथा मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करना है।

जवाब में बताया गया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में घटिया भोजन, गलत ब्रांड वाले भोजन और असुरक्षित भोजन के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं। एफएसएसएआई अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से दूध, दुग्ध उत्पादों और शिशु आहार सहित खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी, निरीक्षण और यादृच्छिक नमूनाकरण करता है। ऐसे मामलों में जहां खाद्य नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाते हैं, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार दोषी खाद्य व्यवसाय संचालकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा, एफएफएसएआई ने दूरदराज के क्षेत्रों में भी बुनियादी परीक्षण सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए, फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स (एफएसडब्ल्यू) नामक मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं प्रदान की हैं।

जवाब में बताया गया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 90 और 91 में मिलावटी या नकली सामान युक्त किसी भी उत्पाद को बेचने, भंडारण करने, वितरित करने या आयात करने के लिए विनिर्माण के लिए दंड का प्रावधान है, जिसमें उपभोक्ता को होने वाले नुकसान की सीमा के आधार पर कारावास या जुर्माना भी शामिल है।

पिछले दो वर्षों के दौरान उपभोक्ता आयोगों में खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी के अंतर्गत पंजीकृत उपभोक्ता शिकायतों का विवरण निम्नानुसार है:-

जवाब में बताया गया है कि आंध्र प्रदेश में दर्ज शिकायतों की संख्या 17 है। वहीं असम में 3 शिकायत दर्ज की गई थी। बिहार में 16 शिकायत दर्ज की गई थी। वहीं चंडीगढ़ में 4 शिकायत दर्ज  किए गए थे। छत्तीसगढ में 10 शिकायत दर्ज  किए गए थे।वहीं दिल्ली में 28 शिकायत दर्ज की गई थी। जहां गुजरात में शिकायतों की संख्या 16 थी वहीं हरियाणा में शिकायतों की संख्या 57 थी। बता दें हिमाचल प्रदेश में 5 शिकायत दर्ज की गई थी। जम्मू और कश्मीर में 1 शिकायत दर्ज की गई थी। झारखंड में 2 शिकायत दर्ज की गई थी।कर्नाटक में 6 शिकायत दर्ज की गई थी। केरल में 51 दर्ज की गई थी।मध्य प्रदेश में 8 शिकायत दर्ज की गई थी। महाराष्ट्र में 7 शिकायत दर्ज की गई थी। ओडिशा में 15  शिकायत दर्ज की गई थी। पुदुचेरी में  9 शिकायत दर्ज की गई थी। पंजाब में 12 शिकायत दर्ज की गई थी।

जवाब में बताया गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तत्वावधान में बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण (उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) नियम, 2020 के अनुसार, उन मामलों में शिकायत दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा, जहां प्रतिफल के रूप में भुगतान की गई वस्तुओं या सेवाओं का मूल्य 5,00,000/- रुपये तक है।

उपभोक्ता शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए ई-दाखिल पोर्टल भी शुरू किया गया है। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय उपभोक्ता आयोगों में प्रत्यक्ष सुनवाई के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

इसके अलावा, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 38 (7) के अनुसार, प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्रता से निपटारा किया जाएगा और यदि शिकायत में वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर और यदि इसमें वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता है तो पांच महीने के भीतर शिकायत का निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा।अंतिम उपभोक्ताओं को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में कहा गया है कि उपभोक्ता आयोगों द्वारा तब तक कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा जब तक पर्याप्त कारण न दर्शाया जाए तथा स्थगन देने के कारणों को आयोग द्वारा लिखित रूप में दर्ज न कर दिया जाए।

‘मैं गोलियां चलवाती तो बिछ जाती लाशें’, Sheikh Hasina ने फोड़ा खुलासा बम, सुनकर Yunus की बंध जाएगी घिग्घी

 

Tags:

adulteration of foodsIndia newsMinister of Food and Public DistributionMinister of State Shri B.L. VermaMP Kartikeya Sharmaquestion raised by mpइंडिया न्यूज

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT