सनातन धर्म में साधु-संतों को ईश्वर की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है वे भौतिक सुखों का त्याग कर सत्य व धर्म के मार्ग पर निकल पड़ते हैं साधु-संत लाल, पीला या केसरिया रंगों के वस्त्रों में नजर आते हैं लेकिन नागा साधु कभी भी कपड़े नहीं पहनते हैं वे कपकपाती ठंड़ में भी हमेशा नग्न अवस्था में ही रहते हैं वे अपने शरीर पर धुनी या भस्म लपेटकर घूमते हैं नागा का अर्थ होता है ‘नग्न’ नागा साधु आजीवन नग्न अवस्था में ही रहते हैं और वे खुद को भगवान का दूत मानते हैं जानते हैं नागा साधुओं के नग्न रहने के कारण और नागा साधु के जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में-
1.नागा साधु प्रकृति और प्राकृतिक अवस्था को महत्व देते हैं इसलिए भी वे वस्त्र नहीं पहनते।
2.नागा साधुओं का मानना है कि इंसान निर्वस्त्र जन्म लेता है अर्थात यह अवस्था प्राकृतिक है इसी भावना का आत्मसात करते हुए नागा साधु हमेशा निर्वस्त्र ही रहते हैं।
1.नागा साधु बनने की प्रक्रिया में 12 साल लग जाते हैं, जिसमें 6 साल को महत्वपूर्ण माना गया है इस अवधि में वे नागा पंथ में शामिल होने के लिए वे जरूरी जानकारियों को हासिल करते हैं और इस दौरान लंगोट के अलावा और कुछ भी नहीं पहनते कुंभ मेले में प्रण लेने के बाद वह इस लंगोट का भी त्याग कर देते हैं और जीवनभर नग्न अवस्था में ही रहते हैं।
2.इसके बाद वे अपने परिवार और स्वंय अपना पिंडदान करते हैं इस प्रकिया को ‘बिजवान’ कहा जाता है यही कारण है कि नागा साधुओं के लिए सांसारिक परिवार का महत्व नहीं होता, ये समुदाय को ही अपना परिवार मानते हैं।
3.नागा साधु बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले इन्हें ब्रह्मचार्य की शिक्षा प्राप्त करनी होती है इसमें सफल होने के बाद उन्हें महापुरुष दीक्षा दी जाती है और फिर यज्ञोपवीत होता है।
4.नागा साधु एक दिन में 7 घरों से भिक्षा मांग सकते हैं यदि इन घरों से भिक्षा मिली तो ठीक वरना इन्हें भूखा ही रहना पड़ता है ये पूरे दिन में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करते हैं।