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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
PM Remembers The Sacrifice of Jesus Christ On Good Friday प्रधानमंत्री ने गुड फ्राइडे पर ईसा मसीह के साहस और बलिदान को याद किया उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ईसा मसीह के सेवा और भाईचारे के आदर्श असंख्य लोगों के लिए मार्गदर्शक-प्रकाश है। बता दें कि गुड फ्राइडे के अवसर पर ईसा मसीह के साहस और बलिदान को याद किया जाता है। ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपने जीवन की कुर्बानी दे दी थी। इस वजह से इस शुक्रवार को ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के रूप में मनाते हैं। ये लोग इस दिवस को कुर्बानी के रूप में मनाते हैं।
We remember the courage and sacrifices of Jesus Christ today on Good Friday. His ideals of service and brotherhood are the guiding light for several people.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 15, 2022
प्रभु ईसा मसीह की याद में देश व दुनिया में आज गुड फ्राइडे का त्योहार मनाया जा रहा है। इस मौके पर हमेशा की तरह आज सुबह से ही गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं। ईसाई समुदाय के लोग सुबह की प्रार्थना में शामिल होकर ईसा मसीह के अंतिम क्षणों संघर्षों को याद कर रहे हैं। कई जगह ईसा मसीह के उपदेश पढ़े जा रहे हैं। लोग ईसा मसीह के बताए उपदेशों और संदेशों का अनुसरण करने का इस मौके पर प्रण कर रहे हैं।
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लिए बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। इसका नाम सुनकर ऐसा लगता है यह कोई मौज-मस्ती मनाने का पर्व है, लेकिन ऐसा नहीं हैगुड फ्राइडे शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए थे। कहा जाता है कि जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम मानसिक व शारीरिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया था तो वह शुक्रवार का दिन यानी फ्राइडे था।
ईसाई धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि ईसा मसीह यरुशलम में लोगों को ईश्वर का संदेश बताते थे। इसी के साथ वह लोगों को मानव कल्याण के उपदेश देते थे। उनके इन उपदेशों व संदेशों का लोगों पर गहरा प्रभाव होता था और इससे प्रभावित होकर लोग ईसा मसीह को ईश्वर मानने लगे। उस समय के धर्म के कुछ ठेकेदार इस चिढ़ने भी लगे थे।
कुछ लोगों ने रोम के शासक से ईसा मसीह के खिलाफ शिकायत भी की थी। उन लोगों ने राजा से कहा कि ईसा मसीह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते हैं। इसके बाद रोम के तत्कालीन शासक ने ईसा मसीह पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद ईसा मसीह को क्रूस पर कील की मदद से लटका दिया गया। उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
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