India News (इंडिया न्यूज), Prachand Helicopter: चीन जैसे ताकतवर पड़ोसी से घिरे होने के कारण भारत की सुरक्षा चुनौतियां निश्चित रूप से बहुत जटिल हैं। लेकिन, हमें खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन इस समय दुनिया की महाशक्ति है। वह अमेरिका से सीधे मुकाबला करने की स्थिति में है। विज्ञान और तकनीक की दुनिया में भी वह बहुत आगे निकल चुका है। वह सैन्य के साथ-साथ आर्थिक महाशक्ति भी है। लेकिन, भारत भी तरक्की की राह पर है। विज्ञान और तकनीक की दुनिया में भी हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में आज हम एक बड़ी उपलब्धि की बात करते हैं। इससे भारतीय सेना की ताकत में बहुत तेजी से इजाफा होगा।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड की। प्रचंड पर चर्चा करने से पहले आपको एक मिनट के लिए राफेल और तेजस के बारे में बता दें। भारतीय वायुसेना इस समय लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है। पिछले एक दशक में सेना के सामने आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। इसी के चलते सरकार ने फ्रांस के साथ हुए समझौते के तहत 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे। अब भारतीय सेना अपने स्वदेशी तेजस MK1A लड़ाकू विमान को हासिल करने की तैयारी में है। इसे HAL ने बनाया है। ये 4.5+ पीढ़ी के विमान हैं। सेना को तेजस MK1A की आपूर्ति अगले एक-दो महीने में शुरू होने की संभावना है। इसका मतलब है कि पहले राफेल, फिर तेजस MK1A और अब प्रचंड भारतीय सेना की ताकत में नए पंख लगाएंगे।
Prachand Helicopter (प्रचंड हेलीकॉप्टर)
दरअसल, भारत इस समय सैन्य बलों के स्वदेशीकरण में लगा हुआ है। मेक इन इंडिया अभियान के तहत सेना की जरूरत की लगभग हर चीज देश में ही बनाने की कोशिश है। इससे आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। इसी कड़ी में HAL ने हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड बनाया है। यह अपनी श्रेणी में दुनिया का सबसे बेहतरीन हेलीकॉप्टर है। ये प्रचंड हेलीकॉप्टर 6500 मीटर यानी 21,325 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में से एक एवरेस्ट की ऊंचाई 29,035 फीट है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह प्रचंड हेलीकॉप्टर लद्दाख से लेकर लेह तक की सभी पर्वत चोटियों को आसानी से पार कर सकता है।
भारत सरकार ने 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने का ऑर्डर दिया है। इसे वित्त वर्ष 2025-2026 में ही खरीदा जाएगा। ये हेलीकॉप्टर भारतीय सेनाओं की सेवा में मौजूद चीता और चेतक हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। चीता और चेतक मूल रूप से फ्रांसीसी हेलीकॉप्टर हैं। एचएएल इनका निर्माण लाइसेंस के तहत करता है। भारत के अपने बेहद उन्नत हेलीकॉप्टर विकसित करने से फ्रांस भी चिंतित हो सकता है। क्योंकि अब फ्रांस से उन्नत हेलीकॉप्टर खरीदने की संभावना पर विराम लग सकता है। इसके लिए एक बड़ा बाजार बंद हो सकता है।
एचएएल के मुताबिक प्रचंड हेलीकॉप्टर सियाचिन ग्लेशियर जैसे युद्ध क्षेत्र में 500 किलोग्राम से ज्यादा का पेलोड ले जा सकता है 2020 में लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प जैसी स्थिति में ये हेलीकॉप्टर बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। चीन ने 2009 में इस श्रेणी का अपना हेलीकॉप्टर बनाया था। इसे चांगझे जेड-10 नाम दिया गया है। कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना को ऐसे हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस हुई जो ऊंचाई पर उड़ सकें। इस जरूरत को पूरा करने के लिए 2006 में लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी।