इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (India’s First Indigenous Aircraft Carrier – IAC) आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant/ INS Vikrant) का समुद्र में ट्रायल चल रहा है। इस शानदार युद्धपोत पर 36 से 40 लड़ाकू विमान (fighter plane) तैनात हो सकते हैं। इस युद्धपोत पर मिग-29 के फाइटर जेट तैनात होने की चर्चाएं चल रहीं थीं। लेकिन मिग-29 को एक तरफ करते हुए इस समय फ्रांस की कंपनी डैसो की राफेल मरीन (Rafale M) और अमेरिकी कंपनी बोइंग के एफ-18 सुपर हॉर्नेट (F-18 Super Hornet) के बीच युद्धपोत पर तैनात होने के लिए प्रतियोगिता चल रही है।
इन सभी चर्चाओं के बाद भारतीय नौसेना (Indian Navy) किस लड़ाकू विमान को INS Vikrant पर तैनात करेगी ये तो समय आने पर पता चल जायेगा। आज हम आपको इन दोनों लड़ाकू विमानों के बीच अंतर बताने जा रहे हैं। इसके लिए हमने कुछ पैमाने तैयार किए हैं जिससे आपको इन दोनों लड़ाकू विमानों की ताकत को आसानी से समझ पाएंगे।
डैसो राफेल मरीन (Rafale Marine) की अधिकतम गति मैक 2 यानी 2469.6 किलोमीटर प्रतिघंटा है। जबकि, एफ-18 सुपर हॉर्नेट (F-18 Super Hornet) की गति भी मैक 1.8 है यानी 2222.4 किलोमीटर प्रतिघंटा। राफेल की रेंज 3700 किलोमीटर से ज्यादा है। सुपर हॉर्नेट की रेंज 3300 किलोमीटर है।
राफेल मरीन की सर्विस सीलिंग यानी आसमान में वो 55 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। एफ-18 सुपर हॉर्नेट 50 हजार फीट पर उड़ सकता है। ऊंचाई पर जाने की दर के मामले में राफेल विजेता है। सुपर हॉर्नेट 228 मीटर प्रति सेकेंड की गति से ऊपर जाता है, वहीं राफेल 304.8 मीटर प्रति सेकेंड की गति से आसमान की ओर जाता है।
राफेल मरीन में एक पायलट की जरुरत होती है। इसकी लंबाई 50.1 फीट है, जबकि विंग स्पैन 35.4 फीट है। इसका वजन 10,300 किलोग्राम है। एफ-18 सुपर हॉर्नेट में 1 या 2 पायलट बैठ सकते हैं। इसकी लंबाई 60 फीट है। विंग स्पैन 44 फीट है। इसका वजन 14,552 किलोग्राम है।
फाइटर जेट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई रेटिंग्स से तुलना की जाती है। जिसमें बीवीआर रेटिंग प्रमुख है। डैसो राफेल मरीन को BVR रेटिंग 100 में 90 फीसदी है, जबकि सुपर हॉर्नेट को 83 फीसदी है। हथियारों के मामले में राफेल को 10 में से 8.6 अंक मिलते हैं, हॉर्नेट को 10 में से 7.9 अंक। टेक्नोलॉजी में राफेल को 10 में से 8.5 और हॉर्नेट को 10 में से 8.9 अंक मिलते हैं। यानी तकनीक हॉर्नेट के पास अच्छी है लेकिन हथियारों के मामले में राफेल आगे है।
एवियोनिक्स की बात करें तो राफेल को 10 में से 8.4 रेटिंग है, हॉर्नेट को 10 में से 9। मैन्यूवरेबिलिटी के मामले में राफेल ज्यादा बेहतर है। उसे 10 में से 9.3 अंक मिलते हैं, जबकि सुपर हॉर्नेट को 10 में से 7.8 अंक दिए गए हैं।
MBDA मेटियोर बेयोंड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल राफेल पर लग सकती है। सुपर हॉर्नेट में AIM-120 AMRAAM मिसाइल लगती है। राडार रेटिंग्स दोनों ही फाइटर जेट्स को एक बराबर मिली है। राफेल में 30 मिमी कैलिबर की GIAT 30M/719B तोप लगी है, हॉर्नेट में 20 मिमी कैलिबर की M61A1 वल्कैन तोप लगी है।
डिफेंसवर्ल्ड के मुताबिक भारतीय नौसेना (Indian Navy) शुरुआत में 26 फाइटर जेट खरीदने पर विचार कर रही है। जिसमें 18 सिंगल सीटर और 8 ट्विवन सीटर ट्रेनर्स शामिल है। नौसेना ने 2017 में 57 मल्टीरोल एयरक्राफ्ट के लिए रिक्वेस्ट ऑफ इन्फॉर्मेशन (RFI) जारी किया था। राफेल मरीन (Rafale Marine) यानी राफेल एम (Rafale-M) में कई बदलाव किए गए हैं। जैसे- रीनफोर्स्ड अंडर कैरिज, नोज व्हील, बड़ा अरेस्टर हुक, इंटीग्रेटेड सीढ़ी आदि।
राफेल एम ने जनवरी 2022 में गोवा में INS हंसा पर मौजूद शोर बेस्ट टेस्ट फैसिलिटी में कई तरह के ट्रायल्स भी दिए थे। फाइटर जेट को भारतीय जरूरतों के हिसाब से कई तरह की जांच प्रक्रियाओं से गुजारा जा रहा है। राफेल एम में परमाणु हथियार भी लगेंगे। मीटियोर, स्कैल्प और हैमर मिसाइलों को लगाने की बात भी चल रही है। एफ-18 सुपर हॉर्नेट की जांच प्रक्रिया मार्च में शुरु हुई थी। इसके आधुनिक विमान ब्लॉक-3 ने कई हाई-प्रोफाइल स्की जंप पूरे किए हैं।
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