अजीत मैंदोला, नई दिल्ली :
Rajasthan Congress pass in Rahul’s Hindu and Hindutva class : कांग्रेस के पूर्व अध्य्क्ष राहुल गांधी की हिदूं और हिंदुत्ववादी की क्लास में फिलहाल राजस्थान कांग्रेस पास हो गई। कांग्रेस की तरफ से जयपुर में 26 से 28 दिसंबर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था।
इस प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में राहुल गांधी ने वर्चुअल भाग लिया। राहुल ने सम्मेलन में मौजूद कांग्रेसियों को एक बार फिर हिंदू और हिंदुत्ववादी के अंतर के बारे में समझाया। साथ ही प्रदेश कांग्रेस से हिंदू और हिंदुत्ववादी, जवाहर लाल नेहरू और सावरकर के बारे में कई सवाल पूछ डाले।
प्रदेश अध्य्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जैसे तैसे सवालों का जवाब दे उन्हें संतुष्ट किया। राहुल ने सम्मेलन में भाग ले समझने की कोशिश की कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेसियों ने क्या किया और उनके नये एजेंडे हिंदुत्ववादी पर क्या चर्चा की।
कांग्रेसियों को शायद यह उम्मीद नहीं थी कि राहुल इतने सारे सवाल पूछेंगे। समापन समारोह को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी संबोधित कर राहुल के हिंदुत्ववादी के मुद्दे पर ही कांग्रेसियों को समझा धर्म के नाम पर राजनीति को खतरनाक बताया।
राहुल गांधी ने पिछले दिनों जयपुर की महंगाई रैली में हिन्दू और हिदुत्ववादी में अंतर बता बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था। सूत्रों का कहना है उसके बाद राज्य इकाइयों को कहा गया है कि अपने-अपने राज्यों में प्रशिक्षण शिविर लगा कार्यकर्ताओं को बताएं कि हिंदू और हिदुत्ववादी में क्या अंतर है।
राहुल का मानना है असली हिंदू नफरत की राजनीति नहीं करता है। जबकि हिंदुत्ववादी सत्ता के लिए नफरत और डराने की राजनीति करता है। बीजेपी यही कर रही है।
राहुल एक तरह से जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस की भाईचारे की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं। राज्य इकाइयों को कहा गया है कि प्रदेश स्तर के साथ साथ जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेसी सम्मेलन कर उनके हिंदू और हिंदुत्ववादी के मुद्दे को समझ जन जन तक पहुंचाएं।
प्रदेश स्तर के सम्मेलन में जैसे ही उन्हें बोलने का आग्रह किया गया तो उन्होंने उल्टा सम्मेलन में मौजूद कांग्रेसियों से ही सवाल पूछने शुरू कर दिये। राहुल ने समझने की कोशिश की कि नेताओं ने सम्मेलन को कितनी गंभीरता से लिया। किस-किस नेता ने क्या बोला।
प्रदेश अध्य्क्ष होने के नाते डोटासरा ने अपनी तरफ से राहुल को जवाब दे संतुष्ट करने की कोशिश की। राहुल ने फिर अपने संबोधन में नेताओं को यही समझाया कि हिंदुत्ववादियों के लिये धर्म सत्ता का हथियार है। असल हिंदू धर्म को सत्ता के लिये इस्तेमाल नहीं करता।
राहुल ने एक तरह से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदुत्ववादी बता उन पर झूठ और डर की राजनीति करने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा कांग्रेस सत्ता के लिए झूठ की राजनीति कभी नहीं करती।
मुख्यमंत्री गहलोत ने भी राहुल की बात का समर्थन कर कांग्रेसियों को यही समझाया कि सत्य और अहिंसा का रास्ता कांग्रेसियों को कभी नहीं छोड़ना है। देश में जो धर्म की राजनीति हो रही है उसे लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है। कांग्रेसियों को धर्म की राजनीति करने वालों का हमेशा विरोध करना चाहिये।
दरअसल राहुल के हिंदुत्ववादी एजेंडे पर बहस छिड़ी हुई है। राहुल चाहते हैं कि बीजेपी की धर्म की राजनीति की खिलाफत हिंदुत्ववादी हथियार से की जाए। हालांकि पांच राज्यों के चुनाव में फिलहाल कांग्रेस अभी इस एजेंडे पर कोई चर्चा नहीं कर रही है।
उत्तर प्रदेश में प्रियंका महिलाओं की राजनीति कर परिवर्तन की उम्मीद कर रही है। जबकि पंजाब, उत्तराखण्ड ,गोवा और मणिपुर में लोकल मुद्दे उठाए जा रहे हैं। पार्टी में भी हिंदुत्ववादी मुद्दे को लेकर कोई उत्साह नहीं है। लेकिन राहुल जिस तरह से हिंदुत्ववादी मुद्दे को लेकर गंभीर उससे यही माना जा रहा है वह इसे नहीं छोड़ने वाले हैं।
पार्टी को इसी मुद्दे पर आगे बढ़ना होगा। हालांकि राहुल जयपुर में इस मुद्दे को दोबारा उठा दूसरे दिन नए साल की छुट्टी पर विदेश निकल गए। सवाल खड़े हो रहे हैं कि राहुल चुनाव के समय विदेश क्यों गए। क्योंकि सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिये पांच राज्यों के चुनाव खासे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
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