इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पंजाब की राजनीति में उथलपुथल के बाद कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान (Rajasthan Politics) की अंदरूनी खींचतान का समाधान निकालने की पहल तेज कर दी है। इसके तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच शुक्रवार को लंबी चर्चा हुई। इस दौरान सूबे की सत्ता और संगठन में पायलट समर्थकों के समायोजन से लेकर उनकी भावी राजनीतिक भूमिका पर चर्चा हुई। राजस्थान कांग्रेस की अंदरूनी खीचतान पर विराम लगाने के लिहाज से यह बैठक इसलिए भी अहम रही कि सचिन पायलट को बगावत से वापस लाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी बैठक में मौजूद थीं।
राहुल और प्रियंका के साथ सचिन की इस बैठक के बाद कांग्रेस के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी हाईकमान ने अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी पायलट समर्थकों को सरकार में शामिल करने के लिए अपना दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है।
पायलट के इन संकेतों से साफ है कि वे राजस्थान में कांग्रेस संगठन की कमान थामे रखने में भविष्य के लिहाज ज्यादा फायदा देख रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत के बेशक गांधी परिवार से अच्छे रिश्ते हैं, मगर सचिन पायलट भी राहुल और प्रियंका के करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने बीते कुछ महीनों के दौरान गहलोत को साफ संदेश दे दिया था कि वह पायलट को बगावत से वापस लाने के लिए किए गए अपने वादे को पूरा करेगा। इस बीच गहलोत को दिल का दौरा पड़ने और एंजियोप्लास्टी के चलते मामला पिछले डेढ़-दो महीने से लटक गया था। लेकिन पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे पुराने दिग्गज को हटाने का सियासी आपरेशन पूरा करने के बाद राहुल और प्रियंका राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच संतुलन के लिए जरूरी कदम उठाने को तैयार दिख रहे हैं।
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