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Red Sea War: हूती विद्रोहियों के हमले से रेड सी में बढ़ी टेंशन, भारत भी हुआ बेचैन

Rajesh kumar • LAST UPDATED : January 14, 2024, 11:06 am IST
Red Sea War: हूती विद्रोहियों के हमले से रेड सी में बढ़ी टेंशन, भारत भी हुआ बेचैन

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India News, (इंडिया न्यूज),Red Sea War: यमन के हौथी विद्रोहियों द्वारा लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर किए जा रहे हमलों का असर भारत पर भी पड़ सकता है। हौथी विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिका ने मोर्चा संभाल लिया है। हाल ही में भारत ने भी इसका करारा जवाब दिया और समुद्र में अपहृत जहाज को नौसेना ने बचा लिया। लाल सागर में हौथी विद्रोहियों द्वारा किए जा रहे हमलों का असर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ने लगा है।

दरअसल, लाल सागर में हूती के हमलों के बाद शिपिंग कंपनियां इस रूट का इस्तेमाल करने से झिझक रही हैं। कंपनियों के अंदर इस बात का डर है कि अगर उनका जहाज हूती विद्रोहियों के चंगुल में फंस गया तो उन्हें फिरौती देनी पड़ सकती है। इसीलिए ज्यादातर शिपिंग कंपनियां फिलहाल लाल सागर की तरफ जाना तो दूर, उसकी तरफ देखने से भी कतरा रही हैं।

रास्ते बदलने पर आम आदमी के जेब पर असर

अगर शिपिंग कंपनियां लाल सागर के रास्ते की जगह किसी और रास्ते का इस्तेमाल करेंगी तो इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था यानी आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि लाल सागर के अलावा, भारत के लिए उपलब्ध अन्य मार्ग वर्तमान की तुलना में बहुत दूर और घुमावदार भी है। मतलब, अगर भारतीय शिपिंग कंपनियां दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करती हैं तो यह लाल सागर से भी ज्यादा महंगा होगा। अगर यह महंगा होगा तो कंपनियों पर दबाव स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा।

अगर आयात-निर्यात में ज्यादा वक्त लगेगा तो इसका सीधा असर सप्लाई चेन पर पड़ेगा। अगर सप्लाई चेन में गड़बड़ी हुई तो उन चीजों की बाजार कीमतें आसमान छू सकती हैं जिनका उत्पादन भारत में नहीं होता है। इन सामानों की कीमतें तो बढ़ेंगी ही, इंतजार का समय भी बढ़ जाएगा। इसलिए व्यापार की दृष्टि से लाल सागर मार्ग भारत के लिए सबसे सुविधाजनक माना जाता है।

समुद्री व्यापार के लिए भारत के पास दो विकल्प

भारत के पास समुद्री व्यापार के लिए दो मार्ग हैं। पहला मार्ग लाल सागर है जिसका उपयोग वर्तमान में किया जा रहा है। दूसरा रास्ता केप ऑफ गुड होप है। ये दोनों मार्ग आगे चलकर स्वेज़ नहर से जुड़ते हैं। स्वेज नहर जो एशिया और यूरोप को जोड़ती है। लाल सागर से स्वेज़ नहर की दूरी लगभग 10 हजार समुद्री मील यानी 18520 किलोमीटर है और जहाजों को यहां पहुंचने में लगभग 25 दिन लगते हैं।

दूसरा मार्ग लाल सागर से अधिक महँगा क्यों?

जहां तक केप ऑफ गुड होप के रास्ते की बात है तो इसकी दूरी लाल सागर से भी ज्यादा लंबी है। अगर भारतीय शिपिंग कंपनियां इस रास्ते से कोई जहाज भेजती हैं तो उन्हें स्वेज नहर तक पहुंचने के लिए 13500 नॉटिकल मील यानी करीब 25 हजार किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। इसका मतलब यह है कि जहाजों को लाल सागर मार्ग की तुलना में लगभग 7000 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी होगी।

भारत में बढ़ सकती है महंगाई!

भारत यूरोपीय देशों के साथ भी व्यापार करता है और वस्तुओं का आयात-निर्यात करता है। आयात में कच्चा तेल भी शामिल है जिसे भारत विदेशों से खरीदता है। ये कच्चा तेल जहाज़ों के ज़रिए भारत लाया जाता है। ऐसे में अगर कच्चे तेल के आयात पर खर्च बढ़ता है तो देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। जब डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे तो देश में महंगाई दर बढ़ेगी और खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाएंगी। इसलिए लाल सागर भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

अमेरिका ने हूती विद्रोहियों पर बोला हमला

अमेरिका और ब्रिटेन ने शुक्रवार को हूती विद्रोहियों पर हमला बोल दिया। इसके बाद शनिवार को अमेरिका ने एक बार फिर हमला किया। शनिवार का हमला यमन में हूती विद्रोहियों के कब्जे वाली जगह पर किया गया था। शुक्रवार को हुए हमले में हौथी विद्रोहियों के कब्जे वाली 28 जगहों पर करीब 60 ठिकानों पर हमला किया गया। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि हौथी विद्रोहियों को आगे भी हमलों का सामना करना पड़ सकता है।

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