इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Ukraine War Harmful For India: पिछले दस दिनों से यूक्रेन रूस जंग लगातार जारी। इस जंग के बाद से अमेरिका सहित पश्चिम देशों ने रूस पर पाबंदियां लगा दी हैं। रूस पर लगी इन पाबंदियों का असर भारत को कई तरह से भुगतना पड़ सकता है।
बता दें मौजूदा हालात में अब रूस की डिफेंस इंडस्ट्री अपनी जरूरतें पूरी करने पर ज्यादा तवज्जो देगी। ऐसे में तयशुदा समय में की जाने वाली सप्लाई बाधित हो सकती है। इस जंग का सबसे बड़ा असर भारत और रूस के बीच हुए 5 एस-400 यूनिट की डीलिवरी पर भी पड़ सकता है। चलिए जानते हैं कि रूस पर लगी पाबंदियों का असर भारत को मिलने वाले हथियारों पर कैसे पड़ेगा। इन पाबंदियों से बचने का क्या है रास्ता।
चक्र-3 परमाणु पनडुब्बी: भारत ने रूस से 10 साल की लीज पर अकुला क्लास की परमाणु पनडुब्बी को लेने की डील की है। इसे भारत में चक्र-3 के नाम से जाना जाता है। रूस इंडियन नेवी को इसे 2025 में सौंपेगा। लेकिन रूस पर प्रतिबंध लगने से इस पनडुब्बी के मिलने में देरी हो सकती है।
एके-203 राइफल: भारत और रूस ने अमेठी की कोरवा डिफेंस फैक्ट्री में 5 लाख एके-203 राइफल बनाने की डील भी साइन की है। अभी तक अमेठी में उत्पादन शुरू नहीं हुआ है। इसलिए इसमें भी देरी होगी। भारतीय सेना को मिलने वाली राइफलों में से 70 हजार राइफलों के पार्ट रूस में निर्मित होंगे। इन राइफलों का उत्पादन शुरू होने के करीब ढाई सालों बाद ये सेना को मिलना था।
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम: भारत ने 2018 में रूस से पांच एस-400 एयर (s 400 missile) डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए 5.4 अरब डॉलर की डील की थी। इनमें से सिर्फ एक यूनिट कुछ माह पहले ही भारत को डिलीवरी हुई है। इसकी तैनाती भी हो गई है। लेकिन रूस पर प्रतिबंध लगने से बाकी चार यूनिट के जल्द मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
मिग-29: भारत की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 2020 में रूस से 21 मिग-29 जेट के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। प्रतिबंध लगने के बाद इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका के एक शीर्ष अफसर ने भी दावा किया है कि भारत ने रूस से यह डील रद्द कर दी है।
सुखोई-30: इंडियन एयरफोर्स के पास जो सुखोई-30 और मिग फाइटर जेट हैं वह भी रूस के बने हैं। एयरफोर्स के कुल प्लेन में से 71 फीसदी हिस्सा इन्ही का है। ऐसे में इनके रखरखाव के लिए कलपूर्जों और उपकरण रूस से ही मिलते हैं। प्रतिबंधों का असर इनपर भी पड़ेगा।
तलवार क्लास की फ्रिगेट: 2018 में इंडियन नेवी के लिए चार तलवार क्लास की एडवांस फ्रिगेट के युद्धपोतों की डिलीवरी के लिए 950 मिलियन डॉलर की डील हुई थी। इन युद्धपोत को एक यूक्रेनी गैस टर्बाइन इंजन लगना है। भारत को 2019 में क्रीमिया संकट के बावजूद यूक्रेन को रूस में बनने वाले पहले दो युद्धपोतों के लिए इंजन की आपूर्ति करने के लिए मनाने में कामयाब रहा। इन दो युद्धपोतों के लिए गैस टर्बाइन इंजन रूस को डिलीवर कर दिए गए हैं। हालांकि पाबंदी के चलते इनमें भी देरी हो सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइलें: रूस पर प्रतिबंध का असर भारत में बने सभी रूसी रक्षा उत्पाद जैसे पैदल सेना लड़ाकू वाहन बीएमपी 2 और ब्रह्मोस मिसाइलों पर भी पड़ेगा। क्योंकि इनके रखरखाव और मरम्मत के लिए उपकरण रूस से ही आते हैं। भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल को बनाया है। इसके साथ ही भारत को फिलीपींस से इसके निर्यात का आॅर्डर मिला है। लेकिन प्रतिबंधों का असर इस पर भी पड़ेगा। क्योंकि रूस से इसके कलपुर्जे और उपकरण मिलने में देरी होगी।
टी-90 टैंक: भारत के पास अभी रूस के बने 1500 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं। वहीं भारत ने रूस से 2019 में 464 और टी-90 टैंक खरीदने की डील की थी। हालांकि यूक्रेन पर रूसी हमले का असर इस डील पर भी पड़ सकता है। कई रिपोर्टों में यह दावा किया जा रहा है कि भारत ने यह डील कैंसिल कर दी है।
Russia Ukraine War Harmful For India
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