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Same-Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट कल समलैंगिक विवाह पर ले सकता बड़ा फैसला, जानें क्या है मांग

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 16, 2023, 7:36 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Same-Sex Marriage:  देश में लोग सेम सेक्स मैरिज अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हुए हमे कोई ऐसा पोस्ट मिल ही जाता है। जहां दो सेम सेक्स के कपल अपने शादी की फोटो पोस्ट किए हों या अपने शादी का अनाउंस कर रहे हों। अब खबर यह सामने आ रही है कि सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (17 अक्टूबर) को अहम फैसला सुना सकता है। बताया जा रहा है कि कोर्ट सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में सेम सेक्स मैरिज (समलैंगिक विवाह) को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाकर उनका रजिस्ट्रेशन किए जाने की मांग की गई है।

समलैंगिक विवाह को मिलनी चाहिए मंजूरी 

याचिकाकर्ताओं के मुताबीक 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था। इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाता। ऐसे में समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिलनी चाहिए।

दस दिन तक चली थी सुनवाई

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ (जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं) ने दस दिन की सुनवाई के बाद इस साल 11 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गर्भपात का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है-शीर्ष अदालत

सुनवाई के दौरान अन्य घटनाक्रमों को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा, ”अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय संदर्भ में गलत था गर्भपात का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और किसी व्यक्ति का गोद लेने का अधिकार पर भारत में उनकी वैवाहिक स्थिति से प्रभावित नहीं होता है।”

विवाह केवल वैधानिक ही नहीं, बल्कि संवैधानिक सुरक्षा के भी हकदार हैं-कोर्ट 

कोर्ट ने कहा, ”यह विधायिका पर निर्भर है कि समलैंगिक संबंधों को मान्यता दें या नहीं लेकिन सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे जोड़ों को विवाह के लेबल के बिना सामाजिक और अन्य लाभ और कानूनी अधिकार दिए जाएं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें युवाओं के भावनाओं के आधार पर मुद्दों पर फैसला नहीं ले सकती हैं। विवाह केवल वैधानिक ही नहीं, बल्कि संवैधानिक सुरक्षा के भी हकदार हैं।

समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा देने का असर सब पर पड़ेगा-केंद्र सरकार 

वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया और कहा कि यह शहरी सोच है, इसकी मांग बड़े शहरों में रहने वाले कुछ अभिजात्य (Elite) लोगों की है। केंद्र ने कहा था, ”समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा देने का असर सब पर पड़ेगा।” इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के पास कोई ऐसा डाटा नहीं है जो यह बताए कि सेम सेक्स मैरिज की मांग सिर्फ शहरी वर्ग तक ही सीमित है।

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