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India News (इंडिया न्यूज), Jharkhand Assembly Election Result: झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर दो चरण में मतदान संपन्न हुई। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को हुआ, जहां 66.48 फीसदी मतदान हुई। वहीं दूसरा चरण 20 नवंबर को संपन्न हुआ। जहां 68.45 फीसदी मतदान हुई। वहीं सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 41 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है। झारखंड विधानसभा चुनाव में कुल 1211 उम्मीदवारों ने अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाई। इनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो जैसे कई चर्चित चेहरे शामिल हैं। इन दिग्गजों की किस्मत का फैसला भी आज होगा।
झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में 1211 उम्मीदवारों की राजनीतिक किस्मत का फैसला होना है। इनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनका परिवार, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, मंत्री बन्ना गुप्ता, पूर्व उपमुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी जैसे कई बड़े चेहरे शामिल हैं।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन के परिवार के कई सदस्य इस चुनाव में उतरे हैं। उनके बेटे और मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साहेबगंज जिले की बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हेमंत भी तीन बार झारखंड की सत्ता के शीर्ष पर पहुंच चुके हैं। हेमंत सोरेन के खिलाफ भाजपा ने गमलियाल हेम्ब्रम को मैदान में उतारा था। हेम्ब्रम ने 2019 में आजसू पार्टी के टिकट पर बरहेट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें महज 2,573 वोट मिले थे। 2019 में झामुमो नेता ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार साइमन माल्टो को 25,740 वोटों से हराया था।
राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह जिले की धनवार सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। झामुमो ने उनके खिलाफ पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी को मैदान में उतारा था। बाबूलाल मरांडी नवंबर 2000 से मार्च 2003 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वे झारखंड भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। बाबूलाल ने भाजपा से अलग होकर 2006 में झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। हालांकि, मरांडी ने 2020 में घर वापसी की और पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। 2019 के झारखंड चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बाबूलाल मरांडी ने धनवार सीट से भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह को 17550 मतों से हराया था।
झारखंड की चर्चित सीटों में सरायकेला विधानसभा सीट भी शामिल है। पिछले कुछ महीनों से झारखंड की राजनीति की सुर्खियों में छाए चंपई सोरेन सरायकेला से बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे। उनके खिलाफ जेएमएम ने बीजेपी के पूर्व नेता गणेश महली को टिकट दिया था। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन ने करीब छह महीने तक झारखंड की सत्ता संभाली। वे 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक सीएम रहे और हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद उनकी कुर्सी चली गई। पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। सरायकेला में पिछले नतीजों की बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गणेश महली को 15667 वोटों से हराया था। इस बार भी दोनों के बीच मुकाबला था, बस पार्टियां बदल गईं।
झारखंड विधानसभा चुनाव में सिल्ली विधानसभा सीट भी चर्चित सीटों में से एक है। ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के प्रमुख और दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुके सुदेश महतो एक बार फिर सिल्ली से किस्मत आजमा रहे हैं। झारखंड में 2000 के बाद बनी सरकारों में आजसू ने कई बार किंगमेकर की भूमिका निभाई है। झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो ने झामुमो की सीमा देवी को 20195 वोटों से हराकर सिल्ली सीट जीती थी। 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए आजसू ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है। समझौते के अनुसार आजसू ने 81 में से 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सुदेश के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा से पूर्व विधायक अमित कुमार को मैदान में उतारा गया था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने गिरिडीह की गांडेय सीट से चुनाव लड़ा। कल्पना पहली बार विधायक बनी हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर राजनीति में उतरी हैं। उन्होंने एनडीए गठबंधन से भाजपा प्रत्याशी दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 मतों से हराया। अब इस चुनाव में भाजपा ने झामुमो नेता के खिलाफ जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी को मैदान में उतारा है। मुनिया 2010-11 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जमुआ पूर्वी भाग से जिला परिषद सदस्य चुनी गई थीं। इसके बाद वे दो बार जिला परिषद की अध्यक्ष बनीं। जून 2023 में मुनिया देवी भाजपा में शामिल हो गईं।
रांची विधानसभा सीट पर होने वाले मुकाबले पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह (सीपी सिंह) फिर चुनावी मैदान में उतरे हैं। वे झारखंड गठन से पहले 1996 से रांची सीट से विधायक हैं और तब से अब तक कभी चुनाव नहीं हारे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सीपी सिंह के खिलाफ राज्यसभा सांसद महुआ माजी को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में दोनों आमने-सामने थे, लेकिन उस बार सीपी सिंह ने महुआ को 5904 वोटों से हरा दिया था।
शिबू सोरेन की बहू और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में थीं। भाजपा ने हेमंत सोरेन की साली को टिकट दिया। झारखंड में भाजपा से 2024 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले कुछ चेहरों को भी विधानसभा में मौका दिया गया। इन्हीं में से एक नाम सीता सोरेन का है, जिन्हें लोकसभा में दुमका सीट से हार का सामना करना पड़ा था। जामताड़ा विधानसभा सीट पर इस चुनाव में सीता सोरेन का मुकाबला कांग्रेस के डॉ इरफान अंसारी से है। दो बार के विधायक इरफान अंसारी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उन्होंने 2014 और 2019 में लगातार दो विधानसभा चुनाव जीते। 2019 में इरफान अंसारी ने भारतीय जनता पार्टी के बीरेंद्र मंडल को 38741 वोटों से हराया था। इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी भी जामताड़ा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक थे।
जमशेदपुर पश्चिम भी राज्य की खास सीटों में से एक है। यहां कांग्रेस नेता और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता उम्मीदवार थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस नेता ने भाजपा के देवेंद्र नाथ सिंह को 22583 वोटों से हराया था। इस बार उनका मुकाबला जदयू के दिग्गज सरयू राय से था। दशकों तक भाजपा में रहे सरयू राय ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमशेदपुर पूर्वी सीट जीती थी। उन्होंने इस चुनाव में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास को हराया था।
जमशेदपुर पूर्व में मुकाबला दो चेहरों की वजह से भी दिलचस्प रहा। कांग्रेस ने यहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद अजॉय कुमार को मैदान में उतारा। पूर्व आईपीएस अजॉय कुमार 15वीं लोकसभा में जमशेदपुर से सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य अजॉय ओडिशा, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम समेत कई राज्यों के पार्टी प्रभारी भी हैं। अजॉय का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की बहू और भाजपा उम्मीदवार पूर्णिमा दास से था। 2014 से 2019 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे रघुबर अब ओडिशा के राज्यपाल बन गए हैं। 2019 में जमशेदपुर पूर्व सीट पर निर्दलीय सरयू राय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास को 15833 वोटों से हराया था। इससे पहले रघुबर दास लगातार पांच बार यहां से जीतने में कामयाब रहे थे।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पूर्वी सिंहभूम जिले की पोटका विधानसभा सीट से मैदान में थीं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अर्जुन मुंडा मार्च 2003 से मार्च 2005, मार्च 2005 से सितंबर 2006 और सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक झारखंड के सीएम रहे। अब उनकी पत्नी मीरा पोटका से चुनाव लड़ रही हैं, जिनका मुकाबला झामुमो के मौजूदा विधायक संजीब सरदार से है। पिछले चुनाव में संजीब सरदार ने भारतीय जनता पार्टी की मेनका सरदार को 43110 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने जगन्नाथपुर में किस्मत आजमाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस की एकमात्र सांसद रहीं गीता कोड़ा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गईं। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गीता को सिंहभूम सीट से उम्मीदवार भी बनाया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके पति मधु कोड़ा सितंबर 2006 से अगस्त 2008 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। झारखंड के इतिहास में यह पहली बार था कि सरकार का नेतृत्व एक निर्दलीय विधायक ने किया। इस चुनाव में गीता का मुकाबला कांग्रेस नेता सोना राम सिंकू से था। पिछली बार जगन्नाथपुर में कांग्रेस के सोना राम सिंकू ने झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के उम्मीदवार मंगल सिंह बोबोंगा को 11606 मतों से हराया था।
रांची जिले की तमाड़ विधानसभा सीट भी खास बनी हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को हराने वाले राजा पीटर ने फिर से यहां से चुनाव लड़ा। पूर्व मंत्री राजा पीटर उर्फ गोपाल कृष्ण पातर 2009 में तमाड़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में शिबू सोरेन को हराकर पहली बार चर्चा में आए थे। इस हार के बाद शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 2019 के विधानसभा चुनाव में तमाड़ सीट पर झामुमो के विकास मुंडा ने जीत दर्ज की। विकास ने आजसू पार्टी के राम दुर्लभ सिंह मुंडा को 30971 वोटों से हराया। इस बार राजा पीटर एनडीए के घटक दल जदयू से उम्मीदवार थे। पीटर का मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के मौजूदा विधायक विकास सिंह मुंडा से था।
दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र की खूंटी विधानसभा सीट भी खास है। यहां भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है। राम सूर्य मुंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा से मैदान में हैं। नीलकंठ खूंटी सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वे झारखंड सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। 2019 के चुनाव में खूंटी सीट पर भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुशील पाहन को 26327 मतों से हराया था।
आदिवासी बहुल संथाल परगना क्षेत्र के पाकुड़ जिले की महेशपुर सीट पर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और झामुमो के दिग्गज नेता स्टीफन मरांडी झामुमो से मैदान में थे। भाजपा ने उनके खिलाफ पूर्व डीएसपी नवनीत हेंब्रम को मैदान में उतारा था। जून में अपने पद से इस्तीफा देने वाले नवनीत को अपना उम्मीदवार बनाने के लिए भाजपा ने हाईकोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक पैरवी की थी। 2019 में महेशपुर सीट पर जेएमएम के स्टीफन मरांडी ने बीजेपी उम्मीदवार मिस्त्री सोरेन को 34106 वोटों से हराया था।
दुमका जिले की जामा विधानसभा सीट पर भी लोगों की निगाहें टिकी हैं। यह सीट सोरेन परिवार के दबदबे वाली मानी जाती रही है। जामा की जनता ने एक बार शिबू सोरेन, दो बार दुर्गा सोरेन और तीन बार सीता सोरेन को चुना है। कभी भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता रहीं डॉ. लुईस मरांडी ने जेएमएम का चेहरा बनकर जामा से चुनाव लड़ा था। वे रघुवर दास सरकार में समाज कल्याण मंत्री के साथ-साथ बीजेपी की प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। इस साल विधानसभा से पहले लुईस बीजेपी छोड़कर जेएमएम में शामिल हो गई थीं। इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के सुरेश मुर्मू से था, जो पिछले दो चुनाव बेहद कम अंतर से हारे थे। 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली सीता सोरेन ने भाजपा के सुरेश मुर्मू को 2426 वोटों से हराया था।
झारखंड के धनबाद जिले की झरिया विधानसभा सीट भी दिलचस्प है जहां एक बार फिर सिंह परिवार की भाभियों के बीच मुकाबला हुआ। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सूर्यदेव सिंह के भाई राजन सिंह के बेटे स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह को टिकट दिया था। वहीं, भाजपा ने उनकी भाभी रागिनी सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था। नतीजा पूर्णिमा सिंह के पक्ष में रहा और उन्होंने यह चुनाव 12,054 वोटों से जीत लिया। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद इस चुनाव में भी भाभियां पूर्णिमा सिंह और रागिनी सिंह एक दूसरे के खिलाफ फिर से मैदान में हैं।
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