India News (इंडिया न्यूज़) सुप्रीम कोर्ट : गुजरात की एक रेप पीड़िता को सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की दी अनुमति। बलात्कार के बाद गर्भपात से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद ये फैसला दिया और बिना विवाह ‘मां’ बनने पर महिलाओं को होने वाली मानसिक परेशानियों पर भी अपनी चिंता जताई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि भारतीय समाज में, विवाहिक जीवन के अंदर गर्भावस्था, एक कपल और घर-परिवार और समाज के लिए खुशी की बात होती है। लेकिन बिना विवाह, अवांछित गर्भ होने पर, इसका महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान रेप पीड़िता की गर्भपात की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी दोबारा से मेडिकल जांच के आदेश दिए थे। वहीं अस्पताल को 20 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने का समय दिया। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात हाई कोर्ट की भी आलोचना की, जिसने पीड़िता की गर्भपात की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट का बहुत कीमती समय बर्बाद हो गया है, ऐसे मामलों की फौरन सुनवाई होनी चाहिए।
SC on Article 370
बता दे कि गुजरात की रपे पीड़िता की उम्र 25 वर्ष है, जिसने गर्भावस्था को खत्म करने की मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिस पर फ़ौरन सुनवाई की गई और पीड़िता को गर्भपात की मंजूरी सोमवार (21 अगस्त) को दी गई है। पीड़िता का दावा है कि 04 अगस्त को उसे अपनी गर्भ का पता चला। जिसके बाद उसने 07 अगस्त को कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने बोर्ड संगठित किया जिसकी 11 अगस्त को रिपोर्ट आई। याचिकाकर्ता के अनुसार बोर्ड उनकी दलील के समर्थन में था। लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार की नीतियों का हवाला देकर अर्जी को खारिज कर दिया।
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