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Hijab Banned: इस मुस्लिम देश के स्कूलों में हिजाब लगाने पर रोक, जानें क्या है वजह

India News (इंडिया न्यूज़),Hijab Banned: हिजाब पर प्रतिबंध लगाकर यह मुस्लिम बाहुल्य देश चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। हालांकि हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर देश में बहस लगातार जारी है। दुनिया के लगभग सभी मुस्लिम देशों में महिलाएं हिजाब पहनती हैं। ईरान में तो इसकी ऐसी अनिवार्यता है कि अगर कोई महिला हिजाब ना […]

BY: Itvnetwork Team • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़),Hijab Banned: हिजाब पर प्रतिबंध लगाकर यह मुस्लिम बाहुल्य देश चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। हालांकि हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर देश में बहस लगातार जारी है। दुनिया के लगभग सभी मुस्लिम देशों में महिलाएं हिजाब पहनती हैं। ईरान में तो इसकी ऐसी अनिवार्यता है कि अगर कोई महिला हिजाब ना पहने तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। हाल में यहां से कई दर्दनाक मामले भी सामने आए।

धार्मिक पहचान वाले कपड़े पहनने पर लगा प्रतिबंध

लेकिन वहीं एक ऐसा मुस्लिम बाहुल्य देश है जिसने स्कूल में छात्राओं के लिए हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा करने वाला यह देश कजाखस्तान चुनिंदा मुस्लिम बाहुल्य देशों में शामिल हो गया है, हालांकि हिजाब प्रतिबंध को लेकर देश में बहस लगातार जारी है। धर्म में आस्था रखने वाले माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हिजाब पहने। यहां 2016 में लगी इस पाबंदी को कुछ लोग हटाने की मांग कर रहे हैं। तब देश के शिक्षा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था। जिसमें साफ-साफ लिखा गया था की स्कूल के यूनिफार्म के साथ किसी भी तरह के धार्मिक पहचान वाले कपड़े पहनने की मंजूरी नहीं है।

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Hizab Banned

बेशक देश की सरकार इस्लाम को लेकर प्रतिबद्धता दिखाती है, लेकिन वह सोवियत संघ के वक्त से चले आ रहे धर्म पर नियंत्रण को कमजोर भी पड़ने देने को तैयार नहीं है। 2022 की जनगणना के मुताबिक कजाखस्तान में मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है। यहां 69 फीसदी निवासी मुस्लिम है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में एक तिहाई लोग ही धर्म का सख्ती से पालन करते हैं। यह संवैधानिक तौर पर एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

लग सकता है जुर्माना 

हालांकि राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव इस्लाम को लेकर प्रतिबद्धता दिखाते हैं। वह 2022 में मक्का गए थे, साथ ही रमजान पर सरकारी अधिकारी और मशहूर हस्तियों के लिए अपने घर पर इफ्तार पार्टी रखी थी। नियम न मानने वाली छात्रों के माता-पिता पर जुर्माना लग जाता है। जिसके कारण कई छात्राएं या तो विरोधी करती रह जाती है, या वह स्कूल आना बंद कर देती है। सरकार इस मामले में देश के धर्मनिरपेक्ष होने पर ही जोर देती है। राष्ट्रपति तोकायेव ने बीते अक्टूबर को कहा था। हमें सबसे पहले इस बात को याद रखना चाहिए कि स्कूल एक शैक्षिक संस्थान है जहां बच्चे शिक्षा लेने आते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि जब बच्चे बड़े हो जाए और उनका दुनिया को देखने का अपना नजरिया हो तब वह अपनी पसंद ना पसंद तय करें।

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