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शिमला: जब तक तीनों कृषि बिल वापस नहीं होते, जारी रहेगा आंदोलन : टिकैत

कहा- 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होगी किसानों की महापंचायत, बनेगी आंदोलन की भावी रणनीति इंडिया न्यूज, शिमला: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, उनका आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत […]

BY: Amit Sood • UPDATED :
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कहा- 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होगी किसानों की महापंचायत, बनेगी आंदोलन की भावी रणनीति
इंडिया न्यूज, शिमला:
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, उनका आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत होने वाली है, जिसमें 9 माह के आंदोलन की समीक्षा के साथ-साथ आंदोलन की भावी रणनीति बनेगी। वे शनिवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सेब सहित सभी फसलों के लिए एमएसपी को लेकर कानून बनना चाहिए।
टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार को वापस लेना होगा और एमएसपी गारंटी कानून बनाना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय डबल होने की बात करती है, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कारपोरेट घरानों के हाथों में है और उसे किसानों और बागवानों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि 9 माह से उनका आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और किसान दिल्ली की सीमा पर डटा है और तब तक डटा रहेगा, जब तक उसकी मांगें मानी नहीं जातीं।
किसान नेता ने कहा कि हिमाचल में इन दिनों सेब सीजन जोरों पर है और यहां पर भी निजी कंपनियों ने सेब के दाम गिरा दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अदानी समूह ने पहले स्टोर से सेब निकालकर बाजार में भेजा और उससे बाजार के दाम गिरा दिए और अब वह किसानों से सस्ती दर पर सेब की खरीद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में दस साल पहले अदानी समूह ने जो कारोबार यहां शुरू किया था, उसका ही यह असर है कि वे बागवानों के सस्ता सेब खरीद रहे हैं और अब ये कंपनियां खाद्यान्न पर कब्जा करना चाहती है।
राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल की सेब आधारित अर्थव्यवस्था 5 हजार करोड़ रुपए की है और इसे बड़े व्यापारिक घरानों की नजर इस पर है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आसाम के चाय बागान किसानों के हाथों से गए, ऐसे ही एक दिन हिमाचल के बागीचों पर भी कंपनियों का कब्जा होगा। दिल्ली में चल रहे आंदोलन में किसानों को बताएंगे कि कैसे हिमाचल में अदानी ने सेब के कारोबार को प्रभावित करना शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में देश के अन्य हिस्सों में भी यही होगा और फिर किसानों को जमीन बेचने को मजबूर किया जाएगा और इन पर कंपनियों का कब्जा होगा।
सेब की ढुलाई पर ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देकर राहत दे सरकार
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल सरकार को बागवानों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। बागवानों के हितों के कानून को लागू करते हुए कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा न किया तो भारतीय किसान यूनियन आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल की ठंडी फिजाओं को गर्म करना होगा और यहां पर भी क्रांति लानी होगाी। टिकैत ने हिमाचल के सेब की फसल का दाम गिरने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। बागवानों को राहत देते हुए सरकार को सेब की ढुलाई पर ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देनी चाहिए। इससे बागवानों को कुछ राहत अवश्य मिलेगी और सेब की खरीद के लिए एमएसपी तय होना चाहिए। टिकैत ने कहा कि हिमाचल के बागवान शांतिप्रिय हैं और उन्हें आंदोलन को क्यों मजबूर किया जा रहा है। वे यहां के किसान-बागवान नेताओं से बात कर करेंगे और आंदोलन का लाइन आफ एक्शन तय किया जाएगा।

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