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Trading Account: कैसे बचें ट्रेडिंग खाता की धोखाधड़ी से?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : January 18, 2022, 1:47 pm IST
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Trading Account: कैसे बचें ट्रेडिंग खाता की धोखाधड़ी से?

Trading Account

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Trading Account: आज के समय में हर इंसान बचत के चक्कर में किसी ना किसी स्टॉक बाजार में अपना रुपया लगाता है, और इसीमें अगर उसके साथ धोखाधड़ी हो जाए तो सोचिए क्या होगा। आजकल पैसों की धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको कितने भारी नुकसान में ले जाएगी ये आप सोच भी नहीं सकते हैं। हम बात कर रहे हैं ट्रेडिंग अकाउंट की। आजकल शेयर बाजार में ट्रेडिंग में सभी लोगों की काफी दिलचस्पी होती है और आप में से काफी लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते होंगे। आपको बता दें कि बाजार में ट्रेडिंग करते समय इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

What Is Trading Account

(Trading account is the gateway to buy, sell equity shares) एक ट्रेडिंग खाता इक्विटी शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए आपका प्रवेश द्वार है, स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार करने वाले बांड। जैसा कि नाम से पता चलता है, आप ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से शेयर बाजार में शेयरों और प्रतिभूतियों का इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार कर सकते हैं। पहले के समय में शेयर बाजार में व्यवहार खुली चिल्लाहट प्रणाली के माध्यम से हुआ था । डिजिटलीकरण ने इन टाइमवॉवर सिस्टम को ट्रेडिंग खाते के रूप में सुविधाजनक के रूप में कुछ के साथ बदल दिया है।

कैसे काम करता है Trading Account ?

आपका ट्रेडिंग अकाउंट आपके (Demat and bank account) डीमैट और बैंक अकाउंट के बीच एक लिंक है। यह आपके शेयरों को आपके डीमैट खाते से डेबिट करके बेचने की सुविधा देता है और आपके (credits money in bank account) बैंक खाते में पैसे क्रेडिट करता है। इसके विपरीत, शेयर खरीद के मामले में, यह आपके डीमैट खाते में शेयरों को क्रेडिट करता है और आपके बैंक खाते से पैसे डेबिट करता है।

Trading Account

इन बातों का रखें ध्यान

रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जांच जरूरी: केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ व्यवहार/अनुबंध करें जिस ब्रोकर के साथ आप लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जांच कर लें।

फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से रहें सावधान: ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि/ कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/ गारंटीकृत/ नियमित रिटर्न/ कैपिटल प्रिजर्वेशन देने के लिए आॅथरइज्ड नहीं है या आपकी ओर से दिये गए पैसों पर ब्याज का भुगतान करने के लिए आपके साथ कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है।

‘केवाईसी’ पेपर खुद भरें: आप अपने ‘केवाईसी’ पेपर में सभी तरह की जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने ‘केवाईसी’ पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई प्रति लें और उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति और स्वीकृति दी है।

आपके स्टॉक ब्रोकर के पास ईमेल आईडी/मोबाइल नंबर जरूर हो: ईमेल और मोबाइल नंबर जैसी आपकी ताजा और सही कांटैक्ट डिटेल हो। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना चाहिए।

ई-मेल अकाउंट रोज देखते रहें: इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट नोट्स/ फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन देखते हों।

ईमेल/एसएमएस को इग्नोर नहीं करें: आपकी ओर से की गई ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल/एसएमएस को इग्नोर नहीं करें। अपने ब्रोकर से मिलें और कॉन्ट्रैक्ट नोट/अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफाई करें। यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो एक्सचेंज/डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट करें।

फ्रिक्वेन्सी की जांच जरूरी: आपकी ओर से निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट का आप्शन चुना है, तो कृपया कन्फर्म करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता है।

अकाउंट की जानकारी रोज वेरिफाई करें: डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी नियमित रूप से वेरिफाई करते रहें और अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ सामंजस्य स्थापित करें।

ट्रेड वेरिफिकेशन करें: कन्फर्म करें कि पे-आउट की तारीख से एक वर्किंग डे के अंदर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। कन्फर्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के अंदर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों। साथ ही एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग आप अपने ट्रेड के वेरिफिकेशन के लिए कर सकते हैं।

ब्रोकर के पास ज्यादा बैलेंस नहीं रखें: आपको बता दें कि आप ब्रोकर के पास ज्यादा रुपया नहीं रखें, क्योंकि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खातों के दावे स्वीकार नहीं होते हैं जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।

एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आए: ब्रोकर्स को सिक्योरिटी के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। वहीं भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं. किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें।

पावर आफ अटॉर्नी देते समय सावधान रहें: सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर प्रयोग कर सकते हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएं।

मैसेजों की जांच करें: ब्रोकर की ओर से रिपोर्ट किए गए फंड और सिक्योरिटी बैलेंस के बारे में साप्ताहिक आधार पर एक्सचेंज द्वारा भेजे गए मैसेजों की जांच करें और यदि इसमें कोई अंतर पाते हैं, तो एक्सचेंज को शिकायत करें।

किसी के साथ पासवर्ड (इंटरनेट अकाउंट) शेयर न करें: ऐसा करना अपने पैसे शेयर करने जैसा है। सेबी के पास रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के अलावा किसी अधिकृत व्यक्ति या ब्रोकर के सहयोगी सहित किसी को भी ट्रेडिंग के उद्देश्य से फंड ट्रांसफर नहीं करें।

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