India News (इंडिया न्यूज़), Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में पिछले 6 दिनों से फंसे 40 मजदूरों को बचाने की जद्दोजहद लगातार जारी है। यहां 22 मीटर ड्रिल के बाद काम को रोक दिया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड ने प्रेस रिलीज को जारी करते हुए बताया कि ड्रिलिंग का काम कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन की बेयरिंग में कुछ खराबी आ गई है। जिसके कारण काम को रोक दिया गया है। वहीं, एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि मशीन के चलने से कंपन हो रहा है और सतह का संतुलन बिगड़ रहा है। जिसके कारण मलबा गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है। जिसको देखते हुए काम रोकने का निर्णय लिया गया है।
जिनकी बातचीत प्रतिनिधिमंडल की ओड़ीसा के लोगों से कराई गई। बातचीत के बाद प्रतिनिधिमंडल ने सुरक्षित होने पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से मिली सूचना के मुताबिक सुरंग में फंसे मजदूर सुरक्षित हैं। साथ ही उन्हें किसी चीज कमी नहीं हैं। राशन, दवा, ऑक्सीजन, से संबंधित समस्या नहीं है।
Uttarkashi Tunnel Rescue
#WATCH | Uttarakhand: Uttarkashi tunnel rescue | Morning visuals from the spot; relief and rescue work halted at Silkyara Tunnel
Speaking to ANI Anshu Manish Khulko, Director of the tunnel-making company NHIDCL, said that at present the drilling work in the tunnel has stopped.… pic.twitter.com/ZhNAsdAtRX
— ANI (@ANI) November 18, 2023
ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी के कारण ड्रिलिंग प्रभावित हुई थी। मंगलवार को भूस्खलन होने और मिट्टी के गिरने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को बीच में ही रोकना पड़ा था। अब गुरुवार को नई ऑगर मशीन से मलबे की ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है। ड्रिलिंग शुरू करने से पहले सिलक्यारा सुरंग के बाहर पूजा पाठ किया गया। भारतीय वायु सेना ने सी-130 हरक्यूलिस विमानों से 25 टन वजनी, बड़ी ऑगर मशीन के दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी लाई गई। इसके साथ ही इसका जायजा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह, केंद्रीय नागर विमानन ने लिया।
जानकारी के मुताबिक सुबह 9 बजे के बाद ड्रिलिंग में कोई प्रगति नहीं हो सकी है और अब तक की रिपोर्ट मिलने तक 22 मीटर पर ही ड्रिलिंग रुकी हुई है। गुरुवार के दिन करीब सुबह 10.30 बजे मशीन को काम पर लगाया गया, क्योंकि पिछली मशीन बोल्डर आने से क्षतिग्रस्त हो गई थी। साथ ही यह अपने संचालन के आधे घंटे में तीन मीटर, पहले छह घंटों में नौ मीटर, नौ घंटों में 12 मीटर और 20 घंटों में 22 मीटर की प्रगति करने में सक्षम था।
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