संबंधित खबरें
‘केंद्रीय अर्धसैनिक बल, CISF और पुलिस के जवान पैसे लेते हैं तो…’ रिश्वत लेने वालों पर CM Mamata ने ये क्या कह दिया?
चलती बस से कूदी लड़की, बस में फैली यौन शोषण की…महिला के मेडिकल से हुआ बड़ा खुलासा
UP के इन 5 जगहों में नहीं लगेगा कोई फोन कॉल, CM Yogi के इस फैसले से ‘खास समुदाय’ की हो गई खटिया खड़ी
यूपी में भेड़िया के बाद बाघ का आतंक! हमले में किसान को उतारा मौत के घाट
पहले फाड़े कपड़े, तोड़ दिए दांत और आंखे, फिर मार-मार कर किया अधमरा, महिला के साथ बदमाशों ने की सारे हदें पार
CM Yogi का बड़ा तोहफा, Vikrant Massey की The Sabarmati Report को किया टैक्स फ्री
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Without Telling Police) : पुलिस को बिना बताए किशोरी ने गर्भपात कराने की इजाजत दिल्ली हाईकोर्ट से मांगी है। हाईकोर्ट ने उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार से उनका रूख जानना चाहा है। इस किशोरी ने सहमति से अपने एक करीबी व्यक्ति के साथ संबंध बनाई थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली बेंच ने इस नाबालिग लड़की की मां की याचिका पर नोटिस जारी किया एवं अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होकर अदालत की मदद करने का अनुरोध किया। इस किशोरी को 18 सप्ताह का गर्भ है।
मुख्य न्यायाधीश शर्मा और न्यायाधीश सुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि गर्भपात में कोई समस्या है ही नहीं क्योंकि नाबालिग के साथ यौन अपराध में पीड़िता की सहमति अर्थहीन होती है तथा बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की धारा 19 के तहत निश्चित रूप से इस घटना के बारे में पुलिस को सूचित किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि यदि पीड़िता नाबालिग है तो यह एक अपराध है। इस मामले की सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए। भले ही इसमें पीड़िता की दिलचस्पी न हो, लेकिन यह राज्य के विरुद्ध अपराध है। बेंच ने अगली सुनवाई के लिए इसे 20 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।
याचिकाकर्ता के वकील अमित मिश्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि अस्पतालों ने बगैर पुलिस को सूचित किए गर्भपात करने से इनकार कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि नाबालिग परस्पर सहमति से रिश्ते में थी और अब उसका परिवार शर्म एवं अपमान के मारे इस मामले को रिपोर्ट नहीं करना चाहता है। ऐसा करने से उस पर सामाजिक दाग लग जाएगा और यदि गर्भपात की अनुमति नहीं मिली तो नाबालिग अपनी कम उम्र के चलते बच्चे का पालन-पोषण नहीं कर पाएगी।
याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता की बेटी को निजता, निजी स्वायत्तता, गरिमा, प्रजनन पसंद का मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार से मिलता है। उसमें कहा गया है कि नाबालिग को अपना गर्भ गिराने की अनुमति नहीं मिलने पर वह गर्भपात किसी झोलाछाप डॉक्टर या किसी गैर पंजीकृत या अवैध (चिकित्सा) केंद्र में जाकर गिरा देगी। जिससे उसके स्वास्थ्य के लिए कुछ जटिलताएं या गंभीर जोखिम हो सकता है। इसलिए अदालत को इसके लिए निर्देश देना चाहिए।
ये भी पढ़ें: अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर तेजी से हेलीपैड बना रहा भारत
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.