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India News (इंडिया न्यूज), China Maternity Policy : हाल के दिनों में भारत ने सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। जिसके बाद चीन अब दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश नहीं रहा। वहीं चीन में जनसंख्या तेजी से घट रही है। इसके अलावा वहां की सरकार को लंबे समय से युवा आबादी में कमी का डर सता रहा है। दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग में अपना दबदबा खोने के डर से चीनी सरकार अब भारत के नक्शेकदम पर चल रही है। इसी के चलते राष्ट्रपति शी जिनपिंग युवा आबादी को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए वह उस नीति को अपना रहे हैं, जिसका इस्तेमाल भारत दशकों पहले ही अपनी नारी शक्ति के हाथ मजबूत करने के लिए कर चुका है।
चीनी सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए चार सूत्री योजना तैयार की है। जिसके तहत महिलाओं को मुफ्त मैटरनिटी सर्विस दी जाएगी। साथ ही उनके लिए मातृत्व अवकाश से लेकर बीमा तक का प्रावधान करने की बात कही जा रही है। मातृत्व सब्सिडी व्यवस्था से लेकर प्रसव पीड़ा तक का सारा खर्च चीनी सरकार उठाने पर काम कर रही है। चीन अब उसी व्यवस्था पर काम करने की ओर बढ़ रहा है, जिसका भारत दशकों से पालन करता आ रहा है। इसके अलावा चीन में श्रम कानून को लेकर भी कई तरह की समस्याएं हैं। दरअसल, चीन सस्ते श्रम के लिए जाना जाता है। चीन में मजदूरों के काम के घंटे बहुत ज्यादा हैं। उन्हें इस हिसाब से वेतन भी नहीं दिया जाता। ऐसे में कामकाजी महिलाएं बच्चे पैदा करने से बचती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे के जन्म के दौरान उनकी नौकरी चली जाती है और फिर दोबारा नौकरी पाना बहुत मुश्किल होता है।
भारत में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1961 में ही मातृत्व लाभ अधिनियम लाया था। बाद में इस नियम के तहत महिलाओं को दी जाने वाली सवेतन छुट्टी को बढ़ाकर छह महीने कर दिया गया। भारत सरकार का यह कदम जनसंख्या बढ़ाने के इरादे से नहीं बल्कि महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के इरादे से लाया गया था। ताकि वे अपनी नौकरी के साथ-साथ अपनी निजी जिंदगी को भी अच्छे से मैनेज कर सकें। भारत में कोई भी गर्भवती महिला किसी भी सरकारी अस्पताल में अपने बच्चे का प्रसव करा सकती है। गर्भवती महिलाओं को सुविधाएं देने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं।
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