(इंडिया न्यूज़): बच्चों और महिलाओं पर खूंखार पालतू कुत्तों के हमलों के बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में तो कुछ नस्ल के कुत्ते पालने पर रोक लगा दी गई है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर ऐसी चोट पड़ी है कि लोगों के लिए गुजारा तक मुश्किल हो रहा है। उनके सामने संकट है कि वे परिवार का पेट भरें या पालतू जानवरों का। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई लोग अपने प्यारे कुत्तों को छोड़ रहे हैं।
मेलबर्न में कुत्तों का शेल्टर होम चलाने वालीं सूसन तलेव्स्की बताती हैं कि उनके शेल्टर होम में लगातार पालतू जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाल ही में 4 साल का चारकोल (नियपोलिटन मास्टिफ) आया है, जिसे उसके मालिकों ने ये कह कर छोड़ दिया कि वे जानवर नहीं पाल सकते। सूसन बताती है कि तमाम चीजों की महंगाई से दिक्कत बढ़ी है।
कुत्तों के भोजन और अन्य सामानों के दाम बढ़े हैं। चारकोल के एक साल के भोजन पर 80 हजार रुपए के करीब लगते हैं। सूसन कहती हैं, हमारे शेल्टर होम में 500 जानवर हैं। हमारे लिए भी इन सभी को खिलाना मुश्किल हो रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में पालतू जानवरों से जुड़े सामान 12 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। खाने-पीने की चीजें दोगुनी हो गई हैं।
पिछले कुछ महीनों में पूरी दुनिया में पालतू जानवरों के भोजन के दाम बढ़े हैं। इसमें मांस, अनाज और माइक्रोन्यूट्रियंट्स शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये अब दुनिया की समस्या बनता जा रहा है। एक कोरोना महामारी लोगों की इतनी महंगी पड़ेगी ये शायद किसी ने सोचा भी ना होगा। लेकिन यहां तो एक महामारी ने वफादारों से ही मुंह मोड़ने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि कहा जाता है ना कि कुत्ता सबसे वफादार जानवर है।
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