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इंडिया न्यूज, कोलंबो:
सबसे बुरे दौर से गुजर रही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी प्रदर्शन के मद्देनजर श्रीलंका में फिर से आपातकाल लगा दिया गया है।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से आपातकाल (Emergency in Srilanka) लगाने का ऐलान किया। इससे पहले आर्थिक सकंट की वजह से 4 अप्रैल को भी श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया था।
प्रदर्शनकारी लगातार श्रीलंका की संसद भवन के बाहर डटे हुए हैं। शुक्रवार रात संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। वहीं संसद में डिप्टी स्पीकर चुनाव के बाद फिर से हंगामा शुरू हुआ है। इस दौरान सत्ताधारी पार्टी की जीत के बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए।
हालांकि संसद की ओर जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया है। लेकिन प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं है। कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा भी प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए थे। ऐसे में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति ने ये कड़ा फैसला लिया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट मीटिंग में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapakse) ने प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे से इस्तीफा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के लिए प्रधानमंत्री पद छोड़ना होगा।
वहीं आपातकाल की घोषणा के बाद विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया। संसद में नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि लोगों की आवाज दबाने के लिए आपातकाल लगाया गया है जबकि यह विकल्प नहीं है। राजपक्षे को इस्तीफा देना चाहिए।
श्रीलंका में आपातकाल (Emergency in Srilanka) लगने के बाद आम लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। देश में कहीं भी राजनीतिक रैली या कार्यक्रम नहीं होगा। कहीं भी भीड़ एकत्रित नहीं हो सकती।
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