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ये इस्लामिक देश चाह कर भी नहीं ले सकता Hassan Nasrallah के खून का बदला, इसके लिए एक तरफ कुआं-दूसरी ओर खाई

Ankita Pandey • LAST UPDATED : September 30, 2024, 8:53 am IST
ये इस्लामिक देश चाह कर भी नहीं ले सकता Hassan Nasrallah के खून का बदला, इसके लिए एक तरफ कुआं-दूसरी ओर खाई

Hezbollah Israel War: हिजबुल्लाह इजरायल युद्ध

India News (इंडिया न्यूज), Israel-Hezbollah War: हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद एक तरफ इजरायल के हौसले बुलंद हैं। वहीं दूसरी तरफ ईरान एक अजीब दुविधा में फंसता नजर आ रहा है। हिजबुल्लाह को पालने से लेकर आधुनिक हथियार सप्लाई करने तक का सारा काम ईरान के जिम्मे था। इजरायल के हवाई हमले में नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बड़े बयान जरूर दिए हैं लेकिन सच ये है कि उन्हें पता है कि वो चाहकर भी इजरायल का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वो सीधे तौर पर इजरायल के खिलाफ युद्ध में उतरने की स्थिति में नहीं हैं।

नसरल्लाह की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी

पिछले एक साल से चल रहे इजरायल और हमास के बीच युद्ध में हिजबुल्लाह खुलकर इजरायल के खिलाफ उतर आया था और लेबनान से इजरायल पर भारी बमबारी की थी। हालांकि मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम की वजह से वह इजरायल को नुकसान नहीं पहुंचा सका। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कसम खाई कि नसरल्लाह की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। इसी तर्ज पर उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ ने कहा कि यह घटना इजरायल के लिए विनाश लेकर आएगी। न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के चीफ अली वेज ने कहा कि हिजबुल्लाह चीफ की हत्या से यह तथ्य नहीं बदला है कि ईरान अभी भी चल रहे संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल नहीं होना चाहता है। ईरान गंभीर दुविधा में है।

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ईरान इस्माइल हनीया की मौत का बदला नहीं ले सका

जुलाई के आखिर में तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनीया की हत्या के करीब दो महीने बाद नसरल्लाह की मौत हो गई। वह इस हत्या का बदला भी नहीं ले पाया है। ईरान पर खास नजर रखने वाले प्रोफेसर मेहदी जकारियन ने कहा कि बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के बीच ईरान के लिए हिजबुल्लाह को फिर से खड़ा करना आसान नहीं है। अगर ईरान लेबनान को फिर से खड़ा करने और हिजबुल्लाह को मजबूत करने की कोशिश करता है तो उसका खुद का आर्थिक संकट और बढ़ जाएगा। अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।

ईरान लेबनान को अकेले नहीं छोड़ सकता।

वेज ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि ईरान, जो करीब 40 साल से हिज़्बुल्लाह में निवेश कर रहा है, उसे रातों-रात छोड़ देगा क्योंकि उस स्थिति में वह अपने दूसरे सहयोगियों को भी खो देगा। सीरिया, लेबनान, इराक और यमन में ईरान समर्थित आतंकवादी समूह हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के बाद से बढ़ते क्षेत्रीय तनाव में शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईरान के सामने एक और बड़ी दुविधा हिज़्बुल्लाह के साथ बातचीत करना और उसे हथियार बेचने के लिए एक नेटवर्क बनाना है। इज़राइली सेना ने बेरूत हवाई अड्डे के ज़रिए ईरान को हिज़्बुल्लाह को हथियार सप्लाई करने से रोकने की कसम खाई है और कहा है कि उसके लड़ाके ऊपर आसमान में गश्त कर रहे हैं।

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