दिल्ली (Pakistna IMF Loan): पाकिस्तान की हालत किसी से छिपी नहीं है। सरकार का खजाना खाली होता जा रहा है। लोंगो को खाना भी नसीब नहीं हो रहा हैं। लेकिन जनता की मुसीबतों पर ध्यान देने की जगह सरकार जनता के लिए नई मुसीबत लेकर आ रही हैं। महंगाई की मार झेल रहे आम जनता पर सरकार नया टैक्स लगाने जा रही हैं। पाकिस्तानी रुपया का मूल्य डॉलर के मुकाबले 275 रुपये तक पहुंच गया है। खराब आर्थिक हालातों के बीच पाकिस्तान को संकट के उबारने के लिए कोई दोस्त आगे नहीं आ रहा हैं। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तीन अरब के नीचे पहुंच गया हैं। महंगाई 25 फीसदी पर हैं। चाय से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की मारामारी है।
दिवालिया होने से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रखी है। शुरू में पाकिस्तान इन शर्ते को मानने के लिए तैयार नहीं था लेकिन अब शहबाज शरीफ की सरकार इन शर्ते पर राजी होती दिख रही हैं। लेकिन इस कदम से पाकिस्तान की जनता की हालत और खराब हो सकती हैं। पाकिस्तान ने आईएमएफ के साथ साल 2019 में 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए साइन किया था। इस डील के 1.1 अरब डॉलर की पहली किस्त दिसंबर से रुकी हुई है और सरकार इसे रिलीज कराने के हर संभव प्रयास कर रही है।
पाकिस्तान को दिवालियी होने से अगर बचना है तो उसके लिए आईएमएफ की मदद बेहद जरूरी है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, नए टैक्स लागू करने के लिए 1 मार्च 2023 की आखिरी तारीख तय की गई थी, जिसे अब घटा दिया गया है। जनता पर टैक्स लगा कर सरकार 170 अरब रुपये की वसूली करेगी और फॉरेन करेंसी के एक्सचेंज रेट को मार्केट के हिसाब से तय किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से डॉलर की वैल्यू और बढ़ेगी और पाकिस्तानी रुपया कमजोर होने से महंगाई और बढ़ जाएगी।
आईएमएफ की शर्ते को पुरा करने के लिए पाकिस्तान को 30 जून तक यानि साढ़े चार महीने की अवधि में 170 अरब रुपये जुटाने होंगे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) ने दो अध्यादेशों का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत बैंकिंग लेन-देन पर विदहोल्डिंग टैक्स में बढ़ोतरी, विलासिता और गैर-जरूरी सामानों के आयात पर नियामक शुल्क की दरों में वृद्धि करने का प्रस्ताव है। सामान्य बिक्री कर को 1% बढ़ाकर 4.5% करना, बिजली की दरों में इजाफा, एक मार्च से निर्यातकों को दी जाने वाली 65 अरब रुपये की बिजली सब्सिडी बंद और किसान पैकेज को भी खत्म किया जा सकता है।
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