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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Pakistani Economy Crisis in 2021: अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और दूसरे देशों से कर्ज लेकर घी पाने वाले पाकिस्तान की स्थिति आने वाले समय में और भी खराब हो सकती है। विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि कोविड महामारी ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था (Pakistani Economy Crisis in 2021) की कमर तोड़ दी है जिससे वह दुनिया के टॉप 10 बड़े कर्जदारों में शामिल हो चुका है। अब पाकिस्तान ऋण सेवा निलंबन पहल (डीएसएसआइ) की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिस वजह से उसे विदेशी कर्ज हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
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विश्व बैंक ने सोमवार को ‘वर्ष 2022 में अंतरराष्ट्रीय ऋण सांख्यिकी’ लिस्ट जारी कर कहा है कि बड़े कर्जदारों समेत डीएसएसआइ की जद में आने वाले देशों को प्राप्त कर्ज की दर में व्यापक अंतर रहा। वर्ष 2020 के अंत में डीएसएसआइ की जद में आने वाले 10 सबसे बड़े कर्जदारों का कुल विदेशी कर्ज 509 अरब डालर था, जो वर्ष 2019 के मुकाबले 12 फीसद ज्यादा और डीएसएसआइ की जद में आने वाले सभी देशों के कुल विदेशी कर्ज का 59 प्रतिशत था।
वर्ष 2020 के अंत तक यह डीएसएसआइ की जद में आने वाले देशों के बिना गारंटी वाले निजी विदेशी कर्ज का 65 फीसद हो गया। डीएसएसआइ की जद में शीर्ष 10 बड़े विदेशी कर्जदार देशों में अंगोला, बांग्लादेश, इथोपिया, घाना, केन्या, मंगोलिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान व जांबिया शामिल है।
हाल ही में पाकिस्तानी मीडिया में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान पर जितना कर्ज है उसमें इमरान सरकार का योगदान 40 फीसद से ज्यादा है। इससे पहले भी पाकिस्तान के हालात खास बेहतर नहीं थे, लेकिन बीते सालों में आर्थिक मोर्चे पर हालात और भी खराब हो गये। इसकी सबसे बड़ी वजह कोरोना संक्रमण को माना जा रहा है। कोरोना ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistani Economy Crisis in 2021) पर अच्छा-खासा असर डाला है। पाकिस्तान ने यूएई, चीन जैसे देशों के अलावा आईएएफएफ जैसे कई संस्थानों से भी कर्ज लिया है।
पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था (Pakistani Economy Crisis in 2021) की वजह से टमाटर, आलू जैसे खाने-पीछे की चीजों के दाम बढ़े तो वहीं पेट्रोल और डीजल के दामों में भी समय-समय पर उछाल देखने को मिलता हैं। पाकिस्तान की जड़ों में बस चुका भ्रष्टाचार भी पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को एक अहम पहलू माना जाता है।
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