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India News (इंडिया न्यूज), Panama Canal History: पनामा नहर पर डोनाल्ड ट्रंप के तेवर सख्त हो गए हैं। उन्होंने अनुचित शुल्क का मुद्दा उठाते हुए पनामा को बड़ी धमकी दे डाली है। ट्रंप ने खुलेआम कह दिया है कि अमेरिका, पनामा नहर पर कब्जा करने की प्लानिंग कर सकता है। जिसके बाद घबराहट और गुस्से में आकर वहां के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो (Jose Raul Mulino) ने इसे सरासर झूठ बता डाला है और नहर पर अमेरिका का कोई हक होने की बात से साफ इनकार कर दिया है। आगे जानें क्या है पनामा नहर का इतिहास, क्यों अमेरिका इसे अपनी जागीर समझ रहा है?
दरअसल, पनामा नहर जियोपॉलिटिक्स की दृष्टि से पूरी दुनिया के लिए बेहद अहम है, जो अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाला कृत्रिम जलमार्ग है। दुनिया भर के समुद्री व्यापार का 6 प्रतिशत इसी नहर के जरिए किया जाता है। अमिरेका तो 14 फीसदी व्यापार के लिए इसी नहर पर निर्भर है। पनामा नहर पर कब्जे को लेकर बवाल हुआ तो इसका सीधा मतलब है कि दुनियाभर में व्यापार सप्लाई चेन के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। अब अमेरिका के लिए इस पर कब्जे की लड़ाई नई नहीं है। 1999 तक ऐसी ही ऐतिहासिक जंग पहले ही अमेरिका-पनामा के बीच चली थी।
पनामा नहर पर किसका हक है, इस पर सवाल इसलिए आ रहा है क्योंकि साल 1881 में फ्रांस ने इसका निर्माण शुरू किया था। हालांकि, लगभग 33 सालों बाद यानी 1914 में अमेरिका ने इसके निर्माण का काम अपने हाथों में लिया और इसे पूरा करवाया। 1999 से पहले पनामा नहर अमेरिका के ही कब्जे में रही थी। इस नहर को अमेरिका ने अपनी इकॉनोमी सुधारने के लिए खड़ा किया था। जिसके बाद लंबे समय तक इस नहर पर हक को लेकर पनामा और अमेरिका के बीच लंबा संघर्ष चला। हालांकि, बाद में इसे पनामा सरकार को ही सौंप दिया गया था। आज के समय में इस नहर की देख-रेख पनामा कैनाल अथॉरिटी करती है।
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