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MSP में वृद्धि और खरीद प्रक्रिया में भी किया सुधार : Modi
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
PM Modi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि जगत को बड़ा तोहफा समर्पित किया है। उन्होंने मंगलवार को 35 फसलों की खास देश को समर्पित की। पीएम ने इसके अलावा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट रायपुर के नए परिसर का भी लोकार्पण किया। मोदी ने कहा कि खेती की जो हमारी पुरातन परंपरा है उसके साथ-साथ मार्च टू फ्यूचर भी उतना ही आवश्यक है। फ्यूचर की जब हम बात करते हैं तो उसके मूल में आधुनिक टेक्नालाजी है, खेती के नए औजार हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी में बढ़ोतरी के साथ-साथ हमने खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि रबी सीजन में 430 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदा गया है। पीएम ने कहा, किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए हमने सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं।
उन्होंने कहा, दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में अलग-अलग फसलों की 1300 से अधिक बीज की विविधताएं तैयार की गई हैं, उन्होंने कहा, इसी श्रृंखला में आज 35 और फसल किस्मों को किसानों के चरणों में समर्पित कर रहे हैं। बता दें कि फसलों की ये विशेष किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विकसित की हैं। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निपटना है। इस अखिल भारतीय कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के संस्थान, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र मिलकर कर रहे हैं।
पीएम ने कहा, बीते 6-7 साल में साइंस और टेक्नालाजी को खेती से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है। मोदी ने कहा, कृषि और विज्ञान के तालमेल का लगातार बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। इसी से जुड़ा एक और कदम उठाया जा रहा है, देश के छोटे-छोटे किसानों की जिंदगी में बदलाव की आशा के साथ ये बहुत बड़ी सौगात मैं मेरे देश के किसानों के चरणों में समर्पित कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 35 नई फसलों की सूची में चने की ऐसी फसल भी रहने वाली है जो आसानी से सूखे की मार झेल सकती है। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला चावल भी तैयार किया गया है। अरहर की पैदावार बढ़़ाने के लिए रोग प्रतिरोधी फसल को भी शामिल किया गया है। जल्दी पकने वाली किस्म और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला चावल भी विकसित किया गया है। इसके अलावा बाजरा, मक्का, कुट्टू जैसी फसलों की अलग वैरायटी भी देश को आज मिलने जा रही है।
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