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सऊदी अरब में एक फिटनेस इंफ्लुएंसर और महिला अधिकार कार्यकर्ता को 11 साल कैद की सजा सुनाई गई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, महिला का नाम मनाहेल अल-ओतैबी है और 29 वर्षीय ओतैबी पर ये आरोप है कि उन्होंने देश के कानून खिलाफ कुछ ऐसे काम किए हैं जिसकी वजह से उन्हें यह सजा दी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओतैबी को महिला अधिकारों के लिए बयान देने और अपनी पसंद के कपड़े पहनने के लिए सजा सुनाई गई है। उनकी गिरफ्तारी 16 नवंबर 2022 में ही हो गई थी। यह मामला दोबारा चर्चा में इसलिए आया है क्योंकि मानवाधिकार संगठन अब उनकी रिहाई को मांग को लेकर काफी सक्रिय हो गए हैं।
सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र को इस संबंध में दिए एक जवाब में बताया था कि ओतैबी को 9 जनवरी को ‘आतंकवादी अपराध’ के कानून के तहत दोषी पाया गया था। सऊदी सरकार ने यह भी कहा था कि अभी ओतैबी का मामला कोर्ट के सामने समीक्षाधीन है और वह सजा के खिलाफ अपील कर सकती हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता को आतंकवादी विरोधी अधिनियम की धारा 43 और 44 के तहत दोषी पाया गया है। यह कानून उन लोगों को दोषी ठहराता है जो, “कोई भी व्यक्ति जो किसी कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर वेबसाइट या प्रोग्राम बनाता है, लॉन्च करता है या उपयोग करता है… या आग लगाने वाले उपकरणों, विस्फोटकों, या आतंकवादी अपराधों में उपयोग किए जाने वाले किसी अन्य उपकरण के निर्माण पर जानकारी प्रकाशित करते हैं या किसी भी तरह से दुर्भावनापूर्ण, गलत जानकारी व अफवाह फैलाते हैं।”
मनाहेल पर आरोप है कि उन्होंने सऊदी अरब के खिलाफ सोशल मीडिया अभियानों में भाग लिया, अश्लील कपड़ों में सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें व वीडियो पोस्ट कीं। इसके अलावा वह बिना अबाया पहले दुकानों में गईं और उसे स्नैपचैट पर डाला। गौरतलब है कि मनाहेल कुछ साल पहले तक सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की समर्थक थीं। जब क्राउन प्रिंस ने महिलाओं के पक्ष में कुछ उदारवादी फैसले लिए थे तो मनाहेल ने कहा था अब उन्हें लगता है कि वह किसी भी तरह के कपड़े पहनकर बाहर जा सकती हैं और अपने विचार को स्वतंत्र रूप से रख सकती हैं।
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मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि मनाहेल पर जो भी आरोप लगे हैं वह पूरी तरह उनके कपड़े पहनने की पसंद, ऑनलाइन साझा किए गए उनके विचारों, बिना अबाया पहने दुकानों में जाने और देश में पुरुषों के महिलाओं पर अत्यधिक अधिकार को खत्म करने के लिए आवाज उठाने पर आधारित है। संगठन के अनुसार, मनाहेल की बहन पर इस तरह के आरोप लगे थे। हालांकि, जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया तो वह देश छोड़कर चली गईं। उनका कहना है कि मनाहेल के परिवार को कोर्ट डॉक्यूमेंट्स या फिर वह सबूत नहीं दिखाए गए हैं जो उनके खिलाफ इस्तेमाल किये गए थे।
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