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तालिबान बना Pakistan के लिए बड़ा मुसीबत, जानें भारत के साथ क्यों मनाया स्वतंत्रता दिवस 

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : August 17, 2024, 7:38 pm IST
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तालिबान बना Pakistan के लिए बड़ा मुसीबत, जानें भारत के साथ क्यों मनाया स्वतंत्रता दिवस 

Afganistan

India News (इंडिया न्यूज),Pakistan:भारत के स्वतंत्रता दिवस के साथ ही तालिबान ने भी 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया। इस मौके पर तालिबान ने बुधवार (14 अगस्त 2024) को सैन्य परेड की और अफगानिस्तान में अपने शासन के लगातार तीसरे साल का जश्न मनाया। इस दौरान उसने भारत के अटैक हेलीकॉप्टर MI-24 का भी प्रदर्शन किया। यह सब ऐसे समय हो रहा है जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव है। पाकिस्तानी रणनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने मीडिया स से कहा कि तालिबान ने तीन साल पूरे कर लिए हैं और वह काफी सुरक्षित है और उसने खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत किया है।

पाकिस्तान की नहीं सुनता तालिबान

कमर चीमा ने आगे कहा, ‘अफगानिस्तान दुनिया के दूतावासों में काम कर रहा है, व्यापार कर रहा है। पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जिसकी तालिबान बात नहीं सुनता, वह इसलिए नहीं सुनता क्योंकि अगर वह ऐसा करेगा तो पाकिस्तान कहेगा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पर हमला करो। लेकिन अफगान-तालिबान ऐसा क्यों करेगा क्योंकि उनके साथ मिलकर उसने अमेरिका के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस तरह से अफगान-तालिबान के बीच लड़ाई शुरू हो जाएगी। जो पाकिस्तान के लिए खतरा है, वह तालिबान के लिए खतरा नहीं है।’

तीन साल से सत्ता में हैं तालिबान

कमर चीमा ने कहा, ‘तालिबान 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस भी मनाता है। इस अवसर पर उन्होंने एक बहुत बड़ी सैन्य परेड की, जिसमें उन्होंने हेलीकॉप्टर, टैंक, मोटरसाइकिल पर प्रदर्शन किया। तालिबान आज बहुत सुरक्षित हैं। तालिबान तीन साल से सत्ता में हैं। अफगानिस्तान की आबादी करीब चार करोड़ है। तालिबान राजनीतिक रूप से बहुत मजबूत नजर आ रहे हैं। उन्होंने खुद को राजनीतिक रूप से स्थापित कर लिया है और उनके लिए कोई चुनौती नहीं है। उनके बीच कोई आंतरिक मतभेद नहीं है। बस इतना है कि वे महिलाओं की शिक्षा के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन ऐसा कोई समूह नहीं है जो उनके खिलाफ लड़ सके।’

तालिबान के सामने कोई मजबूत समूह नहीं है?

उन्होंने कहा कि पहले तालिबान आपस में लड़ते थे, लेकिन इस बार अफगान-तालिबान ने बहुत मजबूत तरीके से अपनी सत्ता स्थापित की है। उनका कहना है कि उनके सामने कोई शक्तिशाली समूह नहीं है, केवल इस्लामिक स्टेट खुरासान है, जो अफगानिस्तान में कई जगहों पर फैला हुआ है, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान भी इससे परेशान हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में आए बदलाव पर बात करते हुए कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान अब अफगानिस्तान से खुश नहीं है, जबकि पहले अफगानिस्तान इस बात से बहुत खुश था कि अफगान-तालिबान सत्ता में आएंगे।

कैसे बदला पाकिस्तान से अफगानिस्तान का रिश्ता

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 50 साल से अफगानिस्तान में जो निवेश कर रहा था, वह डूब गया है। कमर चीमा ने कहा, ‘जिस तरह से पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को बनाया, तालिबान को बनाया, वहां की सरकारें खराब हुईं, सऊदी और अमेरिका के साथ मिलकर वहां सब कुछ किया, लेकिन अंत में सब चले गए और पाकिस्तान फंस गया। अब तालिबान पाकिस्तान की सीमा पर बैठे हैं। न तो वे हमारी बात सुनते हैं, न ही हमारी गिनती करते हैं। पाकिस्तान के तालिबान के साथ बहुत अजीब रिश्ते हैं।’

भारत ने अफगानिस्तान में किए 3 बिलियन डॉलर का निवेश

कमर चीमा ने आगे कहा, ‘भारत और तालिबान का राष्ट्रीय दिवस एक ही दिन मनाया जाता है। भारत ने अफगानिस्तान में 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। भारत इसे भुनाना चाहता है। वह नहीं चाहता कि अफगान-तालिबान हमारे निवेश को खराब करें।’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर चीन, भारत और रूस की नीति एक जैसी है। ये तीनों देश अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देते। उन्हें अपने राष्ट्रीय हितों की चिंता है। वे कभी महिला शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात नहीं करते। उन्होंने आगे कहा कि भारत की अफगानिस्तान में ज्यादा दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि वह अफगानिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यकों की तालिबान से सुरक्षा चाहता है। हाल ही में तालिबान के साथ हुई बातचीत में भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी।

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