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India News(इंडिया न्यूज), US-China Military Talks: एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (EPEC) शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। इस समिट के दौरान दोनों देशों के बीच समानता के आधार पर फिर से शुरू करने और उच्च स्तरीय सैन्य संचार शुरू करने पर सहमत हुए है।
बता दें कि अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हाल में आयोजित हुए एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (EPEC) शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। APEC 2023 शिखर सम्मेलन का विषय “सभी के लिये एक लचीला और टिकाऊ भविष्य बनाना” रखा गया। वहीं, आपको बता दें कि पूर्व अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की पिछले साल ताइवान यात्रा की वजह से अमेरिका-चीन तनाव चरम पर पहुंच गया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संचार बाधिक हो गया था।
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात गहरा असर भारत पर पड़ेगा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए यह अपने राजनयिक और रणनीतिक दृष्टिकोण को फिर से परखने का वक्त है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक बदलावों के बीच खुद एक जटिल स्थिति में देख रहा है। इसका कारण चीन के साथ लगातार सीमा पर तनाव है। गौरतलब है कि अमेरिका-चीन संबंधों की बदलती नजदीकियां चीन को लेकर भारत के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकती है।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि एशिया और इंडो-पैसिफिक में हाल की स्थिति ने भारत और अमेरिका को अपने संबंधों को और आगे बढ़ाने पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। अमेरिका का कहना है कि इंडो-पैसिफिक उनके लिए इंपॉर्टेंट बना हुआ है और वो इस ऐरिया में चीन के दावे को चुनौती दे रहा है।
वहीं, अमेरिका के रुख में ये बदलाव उनके आक्रामक रुख से आगे बढ़ते हुए चीन के साथ आर्थिक संबंधों को जोखिम मुक्त बनाना है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 700 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के साथ ही यह बदलाव आर्थिक जुड़ाव पर आधारित है।
जानकारों की माने तो अमेरिका-चीन के बीच संबंधो का भारत पर क्या असर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि कुछ अमेरिकी-चीन सैन्य सहयोग की बहाली और दोनों देशों के संबंधों में मामूली नरमी संभारत को सीधे लाभ पहुंचा सकती है।
कहा जा रहा है कि ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से चीन ने एलएसी और हिंद महासागर में भारत के खिलाफ उकसावे का एक्शन बढ़ा दिया है, लेकिन एक संभावना तेजी से बढ़ती अमेरिका-भारत सुरक्षा साझेदारी है।
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