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आखिर कैसे तैयार किया जाता है धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर रैंकिंग?

USCIRF Report: यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत को लेकर लिखा कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हमले भड़काने के लिए गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं का इस्तेमाल किया गया है।ऐसे में ये रिपोर्ट कैसे तैयार की जाती है और कौन इसे तैयार करता है।

BY: Sohail Rahman • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), USCIRF Report: यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत को लेकर लिखा कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हमले भड़काने के लिए गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं का इस्तेमाल किया गया है। अब इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश विदेश मंत्रालय ने इसे “प्रेरित नैरेटिव” फैलाने का प्रयास बताया है। आज हम आपको इस आर्टिकल में ये बताने की कोशिश करेंगे कि, आखिर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट कौन तैयार करता है और किन मानकों पर इसमें देशों की रैंकिंग तय की जाती है। 

क्या है ये रिपोर्ट?

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अलग-अलग संगठन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम की स्थिति का आकलन करते हैं, हालांकि इनमें से अमेरिकी विदेश मंत्रालय का “इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट” सबसे महत्वपूर्ण है। इसी रिपोर्ट को लेकर भारत को आपत्ति है। हर साल अलग-अलग देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का विश्लेषण यह रिपोर्ट करती है। इस संगठन के अलावा अन्य संगठन फ्रीडम हाउस और ह्यूमन राइट्स वॉच भी धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करने का काम करती है। 

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कैसे तय होती है इस रिपोर्ट में देशों की रैंकिंग? 

रैंकिंग तय करने की प्रक्रिया में सबसे पहले डाटा इकट्ठा किया जाता है। सरकारी रिपोर्ट, मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट, मीडिया की खबरों और प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर यह डाटा तय होता है। इन संगठनों का लक्ष्य विभिन्न देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का सही आकलन करना होता है। डेटा इकट्ठा करने और मापदंडों को तय करने के बाद शोधकर्ताओं और एक्सपर्ट द्वारा एक व्यापक विश्लेषण किया जाता है। 

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इसके तहत धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप, धार्मिक नेताओं की स्वतंत्रता और धार्मिक पूजा स्थलों की सुरक्षा जैसे पहलुओं की समीक्षा की जाती है। फिर इन डेटा और विश्लेषणों के आधार पर देशों की रैंकिंग तैयार की जाती है। बाद में यह रैंकिंग दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति को उजागर करती है। 

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