इंडिया न्यूज:
बढ़ते तापमान के चलते व्यक्ति की नींद की अवधि घटती जा रही है। क्योंकि कहा जा रहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर नींद पर देखने को मिल रहा है। इस पर डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च की, जिसमें पाया गया कि औसतन एक व्यक्ति हर साल अपनी नींद के 44 घंटे खो रहा है। तो चलिए जानते हैं नींद को लेकर क्या कहती है रिसर्च।
रिसर्च में कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की बॉडी रात में सोने से पहले जल्दी ठंडी हो जाती है। इसलिए रात में गर्मी बढ़ने पर महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। महिलाओं में औसतन त्वचा के नीचे का फैट भी ज्यादा होता है, जिसके चलते उनकी कूलिंग प्रोसेस स्लो हो जाती है। बूढ़े लोगों की बात करें तो वो वैसे ही रात में कम सोते हैं और गरीब देशों में कूलिंग की अच्छी सुविधाएं कम होने के कारण वहां के लोग गर्मी से जूझते हैं।
वैज्ञानिक केल्टन माइनर कहते हैं कि गर्म रातें बड़ी आबादी की नींद खराब कर रही हैं। उदाहरण के लिए, 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान होने पर 46,000 अतिरिक्त लोग स्लीप लॉस के शिकार होते हैं। हाल ही में भारत और पाकिस्तान में चली खतरनाक लू ने करोड़ों लोगों की नींद की अवधि कम कर दी।
Know what is the effect of rising temperature on sleep
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